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सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत

सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत

Third Mangala Gauri Vrat 2025: कब है सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि 

हिंदू धर्म में श्रावण मास का विशेष महत्व होता है। यह महीना भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का काल माना गया है। सावन के प्रत्येक मंगलवार को विवाहित महिलाएं मंगला गौरी व्रत करती हैं, जो अखंड सौभाग्य, पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख-समृद्धि की प्राप्ति हेतु समर्पित होता है। 29 जुलाई को सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत है, जिसे पूरे देश में श्रद्धा और विधिपूर्वक मनाया जा रहा है।

तीसरा मंगला गौरी व्रत शुभ मुहूर्त

तिसरे मंगला गौरी व्रत के लिए विशेष मुहूर्त पूरे दिनभर शुभ माने गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, व्रत करने वाली महिलाएं प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पूजा प्रारंभ करें तो श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है।

तीसरे मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि 

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। शुद्ध वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लें कि आप यह व्रत पूरे नियम और श्रद्धा के साथ करेंगी।
  • एक चौकी या लकड़ी के पाटे पर लाल वस्त्र बिछाएं और उस पर माता पार्वती (मंगला गौरी) की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • माता को गंगाजल या स्वच्छ जल से स्नान कराएं। इसके पश्चात सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें जैसे काजल, सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी, इत्र, मेहंदी आदि। स्वयं भी सोलह श्रृंगार करें, क्योंकि यह इस व्रत की प्रमुख परंपरा है।
  • माता को 16 प्रकार के फल, फूल, पत्ते, मिठाइयां, सुपारी, पान और अन्य भोग सामग्री अर्पित करें।
  • घी का दीपक जलाएं और श्रद्धा से मंगला गौरी व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। यह कथा दांपत्य जीवन में प्रेम, विश्वास और स्थिरता लाने वाली मानी जाती है।
  • माता की आरती करें और विशेष मंत्रों का जाप करें।
  • पूजन के अंत में माता से जाने-अनजाने में हुई भूलों के लिए क्षमा मांगें।

मां मंगला गौरी विशेष मंत्र

  • ‘ॐ गौरी शंकराय नमः’
  • ‘सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।’
  • ‘ॐ उमामहेश्वराय नम: ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा।’

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परशुराम द्वादशी की कथा

परशुराम द्वादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, भगवान परशुराम की पूजा को समर्पित है। परशुराम द्वादशी विशेष रूप से संतान प्राप्ति के लिए मनाया जाता है।

संतान प्राप्ति के लिए करें परशुराम द्वादशी व्रत

परशुराम द्वादशी का पर्व भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी को समर्पित है, जो वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह व्रत विशेष रूप से संतान के प्राप्ति की कामना रखने वाले लोगों के लिए फलदायी होता हैं।

मई माह में कब पड़ेगा पहला शुक्र प्रदोष व्रत

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। यह व्रत सभी पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।

प्रदोष व्रत पर करें ये उपाय

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का अत्यंत महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए एक विशेष दिन माना जाता है, जो हर महीने दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।

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