हिंदू पंचांग के अनुसार, कर्क संक्रांति उस दिन को कहते हैं जब सूर्य देव मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश करते हैं। यह घटना धार्मिक रूप से भी अत्यंत शुभ मानी जाती है और इसी के साथ दक्षिणायन की शुरुआत होती है। वर्ष 2025 में कर्क संक्रांति 16 जुलाई को मनाई जाएगी। यह दिन खासतौर पर सूर्य देव की आराधना, स्नान, दान और व्रत के लिए शुभ होता है।
इन समयों में किया गया स्नान, दान और सूर्य पूजन अत्यंत फलदायी माना जाता है।
कर्क संक्रांति को उत्तरायण से दक्षिणायन के संक्रमण बिंदु के रूप में जाना जाता है। इस दिन सूर्य कर्क रेखा को पार कर दक्षिण दिशा की ओर गति करना आरंभ करते हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार, यह समय देव शयन काल की शुरुआत मानी जाती है।
कर्क संक्रांति का उल्लेख पुराणों में विशेष रूप से मिलता है, जहां यह पर्व पुण्यकाल के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। सूर्य के कर्क राशि में गोचर को धर्म, तप, व्रत और तीर्थ स्नान का आरंभिक बिंदु माना जाता है।
हिंदू धर्म में कहा गया है ‘दानात् धर्मः प्रवर्तते’ अर्थात दान से धर्म की रक्षा होती है। इसलिए कर्क संक्रांति पर किया गया दान सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक फल देने वाला होता है। विशेष रूप से सूर्य से संबंधित वस्तुओं का दान, जैसे कि तांबे के बर्तन, गुड़, लाल रंग के वस्त्र, गेहूं, छाता, चप्पल आदि देने से जीवन में सूर्य दोष से मुक्ति और मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
बिगड़ी मेरी बना जा,
ओ शेरोवाली माँ,
भोले भोले रट ले जोगनी,
शिव ही बेड़ा पार करे,
बिहारी ब्रज में घर मेरा बसा दोगे तो क्या होगा,
बसा दोगे तो क्या होगा, बसा दोगे तो क्या होगा,
भोले डमरू वाले तेरा,
सच्चा दरबार है,