Sawan 2025: सावन में भगवान शिव को अर्पित करें ये चीजें, जानें विशेष फल प्राप्ति के उपाय
सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है। यह मास श्रावण नक्षत्र के प्रभाव से शिवभक्ति का सर्वोत्तम काल बन जाता है। पुराणों और शास्त्रों में वर्णित है कि इस महीने में भगवान शिव को विशेष वस्तुएं अर्पित करने और विधिवत पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
कनेर, मदार और चमेली का फूल शिवजी को करें अर्पित
- शिवलिंग पर जल चढ़ाना सबसे उत्तम माना गया है। विशेषकर सावन में प्रतिदिन शुद्ध जल अर्पित करने से समस्त दोष शांत होते हैं।
- शिवपुराण में उल्लेख मिलता है कि शुद्ध गाय का दूध शिवलिंग पर चढ़ाने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मानसिक शांति मिलती है।
- त्रिपत्रीय बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इसके बिना शिवपूजन अधूरा माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, प्रत्येक पत्र पर ‘ॐ नमः शिवाय’ लिखकर अर्पण करना श्रेष्ठ होता है।
- धतूरा और भांग शिवजी को प्रिय विषैले पौधे हैं, जो उनके तांडव और योगी स्वरूप के प्रतीक हैं। इन्हें अर्पित करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
- कनेर, मदार और चमेली जैसे सफेद फूल शिव को अत्यंत प्रिय हैं। श्वेत पुष्प पवित्रता और शांति का प्रतीक होते हैं।
- सावन में शिवलिंग पर बिना टूटे हुए अक्षत चढ़ाने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। यह स्थायित्व और पूर्णता का प्रतीक है।
- शिवलिंग पर दही चढ़ाने से पाचन तंत्र संबंधित समस्याओं से मुक्ति मिलती है और प्रसन्नता बढ़ती है।
सावन में शिवजी को प्रसन्न करने के उपाय
- प्रतिदिन शिव चालीसा का पाठ करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है और मनचाही सिद्धि मिलती है।
- ‘ॐ त्र्यम्बकं यजामहे…’मंत्र का जाप सावन में रोग, भय और मृत्यु जैसे संकटों से मुक्ति दिलाता है।
- शिवजी के वाहन नंदी को प्रसन्न करने से भी शिवजी का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त होता है। नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहने से वह शिवजी तक पहुंच जाती है।
........................................................................................................हिंदू धर्म में 16 संस्कारों का विशेष महत्व है और उनमें नौवां संस्कार है कर्णवेध। यह संस्कार बच्चे के कान छिदवाने का समय होता है जो सामान्यतः 1 से 5 वर्ष की उम्र में किया जाता है।
उपनयन संस्कार, जिसे जनेऊ संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में से 10वां संस्कार है। यह संस्कार पुरुषों में जनेऊ धारण करने की पारंपरिक प्रथा को दर्शाता है, जो सदियों से चली आ रही है। उपनयन शब्द का अर्थ है "अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ना"।
बच्चे के जन्म के बाद हिंदू परंपरा में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान किया जाता है जिसे मुंडन संस्कार कहा जाता है। यह अनुष्ठान न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि यह व्यक्ति की आत्मा की शुद्धि और नई शुरुआत का प्रतीक भी है।
माघ महीने का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है खासकर जब बात विवाह की आती है। इस महीने में गंगा स्नान और भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही दान-पुण्य और मांगलिक कार्यों के लिए यह महीना अत्यंत शुभ माना जाता है।