Sawan Shiv Mantra: सनातन धर्म में श्रावण मास को अत्यंत शुभ और पुण्यकारी माना गया है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, और इस दौरान उनकी आराधना, व्रत, तथा मंत्र जप करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आगमन होता है। इस वर्ष सावन का पावन महीना 11 जुलाई 2025 से आरंभ हो रहा है और 9 अगस्त यानि श्रावण पूर्णिमा तक चलेगा। ऐसे में भोलेनाथ की विशेष कृपा पाने के लिए ‘ॐ नमः शिवाय’ जैसे पंचाक्षर मंत्र का श्रद्धा और नियमपूर्वक जाप अवश्य करना चाहिए। यह न केवल आत्मिक शांति देता है, बल्कि समस्त कष्टों का नाश कर जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
'ओम नमः शिवाय'
भगवान शिव का पंचाक्षर मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' सनातन धर्म में अत्यंत प्रभावशाली और पूज्य मंत्रों में से एक माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यह मंत्र स्वयं भगवान शिव के पांच मुखों से प्रकट हुआ था और उन्होंने इसे ब्रह्माजी को प्रदान किया था। ऐसा माना जाता है कि इस पंचाक्षर मंत्र का जाप करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और आत्मा शुद्ध होती है। वेदों और पुराणों में वर्णन है कि शिव को प्रसन्न करने के लिए केवल 'ॐ नमः शिवाय' का जप ही पर्याप्त है, क्योंकि यह मंत्र सीधे भोलेनाथ के हृदय तक पहुंचता है और साधक को शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
हिंदू धर्म में मंत्रों को दिव्य ऊर्जा का स्रोत माना गया है। कहा जाता है कि मंत्रों का नियमित जाप न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि यह ईश्वर को प्रसन्न करने का भी माध्यम है। विशेष रूप से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप अत्यंत फलदायी माना गया है। यदि इस मंत्र का जाप प्रतिदिन प्रातःकाल स्नान के पश्चात शांत मन से किया जाए, तो साधक को आध्यात्मिक लाभ के साथ-साथ मानसिक और शारीरिक रूप से भी ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करते समय स्थान और विधि का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस मंत्र का जाप आप घर पर या किसी शिव मंदिर में शुद्ध और शांत वातावरण में बैठकर कर सकते हैं। यदि आप रुद्राक्ष की माला से कम से कम 108 बार रोजाना जाप करें, तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। जाप के समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करना श्रेष्ठ माना गया है। इस मंत्र का जाप आप दिन के किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन सुबह के समय शांत मन से किया गया जाप विशेष फलदायी होता है।
ऊँचे ऊँचे मंदिर तेरे,
ऊँचा तेरा धाम,
अजब हैरान हूं भगवन!
तुम्हें कैसे रिझाऊं मैं ।
अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना,
तुम्हारी लाड़ली सीता हुई बेहाल कह देना ।
बाबा मुझे ये तो बता,
कोई इतना भी देता है क्या,