Importance of Om Namah Shivay Mantra: सावन का पावन महीना शुरू हो चुका है, जो भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यह महीना भोलेनाथ को समर्पित होता है और मान्यता है कि इस समय की गई भक्ति, व्रत और मंत्र जाप से शिवजी शीघ्र प्रसन्न होते हैं। 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र शिव भक्ति का सबसे प्रभावशाली और लोकप्रिय मंत्र है, जिसे पंचाक्षर मंत्र भी कहा जाता है। यह मंत्र शिव के पांच तत्वों – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश का प्रतीक है। भगवान शिव को प्रसन्न करने और जीवन में सुख, शांति एवं शक्ति पाने के लिए इस मंत्र का जाप बेहद लाभकारी माना गया है। आइए जानते हैं कि इस मंत्र के जाप से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं और इसे करने की सरल विधि क्या होनी चाहिए।
‘ॐ नमः शिवाय’ को वैदिक परंपरा में महा मंत्र का दर्जा प्राप्त है। यह केवल शब्दों का मेल नहीं, बल्कि एक गहन आध्यात्मिक अनुभव है। सरल रूप में इसका अर्थ है -'मैं भगवान शिव को नमन करता हूँ'। इसमें ‘ना’ का अर्थ है 'नकार' और ‘मह’ का मतलब 'मैं'अर्थात् यह मंत्र आत्म-अहम को त्यागने और खुद को शिव, यानी परम चेतना में विलीन करने का प्रतीक है। शिव वह अवस्था है जहाँ विचार, अहंकार और सीमितता समाप्त हो जाती है। इस मंत्र का जाप हमारे भीतर उच्च ऊर्जा का संचार करता है, जिससे वातावरण भी शुद्ध और सकारात्मक हो जाता है। ‘ॐ नमः शिवाय’ का उच्चारण न केवल मानसिक शांति लाता है, बल्कि यह हमारे शरीर, मन और आत्मा को संतुलन देता है। यही कारण है कि हजारों वर्षों से साधक और ऋषि-मुनि इस मंत्र का जाप करते आ रहे हैं।
‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र के प्रत्येक अक्षर - ना, मा, शि, वा, या प्रकृति के पंच महाभूतों का प्रतिनिधित्व करते हैं: पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश (व्योम) ये पांच तत्व न केवल हमारे शरीर, बल्कि संपूर्ण सृष्टि के निर्माण के मूल आधार हैं। भगवान शिव को इन पंच तत्वों का स्वामी माना गया है और जब हम इस मंत्र का जाप करते हैं, तो हम इन तत्वों में संतुलन और शुद्धता के लिए प्रार्थना कर रहे होते हैं। ‘ॐ’ जो ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है - शांति, प्रेम और चेतना का प्रतीक है। जब हम ‘ॐ नमः शिवाय’ का सच्चे भाव से जाप करते हैं, तो यह हमारे भीतर और हमारे आसपास के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा, शांति लाने में मदद करता है।
‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करने के लिए सबसे शुभ समय सुबह स्नान के बाद या फिर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय होता है। इन समयों को आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। इस मंत्र का जाप आप शांत वातावरण में बैठकर या किसी शिवालय में जाकर कर सकते हैं। इसे आप चाहें तो तेज आवाज में बोलकर करें या मन ही मन ध्यानपूर्वक भी जप सकते हैं दोनों ही विधियां लाभकारी मानी जाती हैं। यदि आप इस मंत्र का रुद्राक्ष माला से लगातार 108 बार जाप करते हैं, तो यह विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। साथ ही, नियमित जाप से मन को शांति, आत्मा को स्थिरता और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का नियमित जाप करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और वातावरण में सकारात्मकता का संचार होता है। यह मंत्र मन को स्थिर करने और आत्मिक शांति प्राप्त करने का अत्यंत प्रभावशाली माध्यम है। इसके जप से न केवल मन की चंचलता समाप्त होती है, बल्कि यह हमारी इंद्रियों और विचारों पर नियंत्रण स्थापित करने में भी मदद करता है। शास्त्रों के अनुसार, शिव तत्व ब्रह्मांडीय ऊर्जा का आधार है और ग्रहों पर भी शासन करता है। ऐसे में ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप कुंडली में मौजूद अशुभ ग्रहों के प्रभाव को शांत करने में भी सहायक माना गया है।
अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना,
तुम्हारी लाड़ली सीता हुई बेहाल कह देना ।
बाबा मुझे ये तो बता,
कोई इतना भी देता है क्या,
बााबा नेने चलियौ हमरो अपन नगरी,
बाबा लेले चलियौ हमरो अपन नगरी,
हरी दर्शन की प्यासी अखियाँ
अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी ॥