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सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत

सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत

Second Mangala Gauri Vrat 2025: कब है सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि 

हिंदू धर्म में सावन मास का विशेष महत्व होता है, विशेषकर विवाहित महिलाओं के लिए यह समय अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। इस मास में आने वाले प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। इस साल 22 जुलाई 2025 को सावन का दूसरा मंगलवार है, जिसे मंगला गौरी व्रत के रूप में मनाया जा रहा है। यह व्रत सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र, अखंड सौभाग्य, और दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए करती हैं।

दूसरा मंगला गौरी व्रत शुभ मुहूर्त 

मंगला गौरी व्रत की पूजा विशेष मुहूर्त में करने से व्रती को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इन शुभ मुहूर्तों में से किसी भी समय में पूजा की जा सकती है, लेकिन प्रातःकाल का समय विशेष रूप से शुभ माना गया है।

  • प्रातः काल मुहूर्त: सुबह 4:17 AM से 5:20 
  • अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:37 से दोपहर 12:31
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 2:19 से 3:13 
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:47 PM से 7:08

दूसरे मंगला गौरी व्रत की पूजा की विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ लाल या पीले वस्त्र धारण करें।
  • घर के पूजा स्थान को साफ करके वहां लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
  • उस पर माता पार्वती (मंगला गौरी) की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • माता को गंगाजल या स्वच्छ जल से स्नान कराएं। फिर सोलह श्रृंगार की सामग्री जैसे सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, काजल, मेहंदी, इत्र आदि अर्पित करें।
  • 16 प्रकार के फल, फूल, पत्ते, मिठाइयां और पूजन सामग्री चढ़ाएं।
  • घी का दीपक जलाकर मंगला गौरी व्रत की कथा सुने या पढ़ें।
  • माता की आरती करें और विशेष मंत्रों का जाप करें।
  • शाम को चंद्रमा के दर्शन करें और उन्हें अर्घ्य देकर व्रत खोलें।

मां मंगला गौरी विशेष मंत्र

इन मंत्रों का 108 बार जाप करना से मानसिक शांति के साथ-साथ जीवन में सौभाग्य, सुख और संतुलन का संचार होता है।

‘ॐ गौरी शंकराय नमः’

  • ‘कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्, नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्’
  • ‘सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।’ 
  • ‘ॐ उमामहेश्वराय नम: ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा।’

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एकादशी व्रत का महत्व

सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। बता दें कि साल में कुल 24 एकदशी पड़ती हैं। हर एकादशी का अपना अलग महत्व होता है। ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं।

पुत्रदा एकादशी 2025

पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा या वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन पुत्र या संतान प्राप्ति के लिए उपाय करने से सफलता मिलती है। मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

2025 की पहली बैकुंठ एकादशी कब है

सनातन धर्म में बैकुंठ एकादशी का विषेश महत्व है। इस पवित्र दिन पर भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को मृत्यु उपरांत बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है।

दुर्गा चालीसा पाठ

धार्मिक मान्यता है कि मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना और व्रत करने से जातक की हर मनोकामना पूरी होती है। इस दिन दुर्गा चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए।

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