संकष्टी चतुर्थी हर कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आती है। वर्ष 2025 में सावन मास की संकष्टी चतुर्थी 14 जुलाई, सोमवार को मनाई जाएगी। कुछ कैलेंडर 13 जुलाई शाम से शुरू होने वाली तिथि दिखाते हैं, लेकिन यह तिथि 14 जुलाई को पूर्ण होगी।
पंचांग के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी के तिथि की शुरुआत 13 जुलाई की मध्यरात्रि में होगी, और 14 जुलाई को देर रात 11 बजकर 59 मिनट पर चतुर्थी तिथि समाप्त होगी। इसलिए सूर्योदय तिथि के अनुसार यह 14 जुलाई को मनाया जाएगा।
यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है, जिन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत से बाधाएं दूर होती हैं, स्वास्थ्य, सुख, समृद्धि और बुद्धि की प्राप्ति होती है । शिव पुराण में बताया गया है कि पूरी निष्ठा व श्रद्धा से संकष्टी व्रत करने से हर तरह की कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं ।
सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इनमें शारदीय और चैत्र नवरात्रि विशेष धूमधाम से मनाई जाती हैं। साल में कुल चार नवरात्रियां पड़ती हैं—दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त। नवरात्रि माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन मास में आती हैं।
सनातन धर्म में नवरात्रि के दिनों को अत्यंत शुभ माना जाता है। साल में चार नवरात्रियां पड़ती हैं—माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन मास में। इनमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि को प्रत्यक्ष नवरात्रि कहा जाता है, जिनका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अधिक होता है।
भारत को उत्सवों का देश कहा जाता है। यहां हर मौसम में खास त्योहार मनाए जाते हैं। सर्दी का मौसम खत्म हो गया है और बसंत के शुरू होते ही होली का त्योहार दस्तक दे रहा है।
सनातन धर्म में मां दुर्गा को शक्ति और भक्ति का प्रतीक माना गया है। मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा नवरात्रि के दौरान की जाती है। यह पर्व साल में चार बार मनाया जाता है—शारदीय नवरात्रि, चैत्र नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रियां।