संकष्टी चतुर्थी व्रत जिसे संकट हारा या सकट चौथ के नाम से भी जाना जाता है एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। इसे भगवान गणेश की आराधना और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और उनकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। यह व्रत न केवल भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है बल्कि यह व्यक्ति को अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी मदद करता है।
इस दिन व्रत करने से घर से नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं, संतान प्राप्ति-संतान संबंधी समस्याओं का निवारण होता है और अपयश और बदनामी के योग कट जाते हैं। भगवान गणेश घर की सारी विपदाओं को हर लेते हैं। जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है और पूरे आस्था के साथ पूजा करता है गणपति उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। आइए जानते हैं साल 2025 में कब-कब संकष्टी चतुर्थी का व्रत पड़ने वाला है? साथ ही जानेंगे इस व्रत का महत्व और पूजा विधि के बारे में।
संकष्टी चतुर्थी व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भगवान गणेश की आराधना और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन की पूजा से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस व्रत को रखने से न केवल संकटों से मुक्ति मिलती है बल्कि यह व्यक्ति के जीवन को सुख-शांति और समृद्धि से भर देता है। संकष्टी चतुर्थी की व्रत रखने से भक्त अपनी जीवन में होने वाली हर समस्या से दूर रहते हैं और सभी दोषों और पापों से मुक्ति प्राप्त करते हैं।
संकष्टी चतुर्थी पर सुहागन स्त्रियां सुबह-शाम गणेशजी की पूजा करती हैं और रात में चंद्रमा के दर्शन और पूजा करने के बाद पति का आशीर्वाद लेती हैं। इसके बाद व्रत खोला जाता है। इस तरह व्रत करने से संतान की उम्र लंबी होती है और दांपत्य जीवन में कभी संकट नहीं आता। शादीशुदा जीवन में प्रेम के साथ सुख भी बना रहता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय से प्रारम्भ होकर चंद्र दर्शन करने तक रखा जाता है। पूरे साल में संकष्टी चतुर्थी के 12 या 13 व्रत रखे जाते हैं। यह व्रत भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। जो इस साल 22 दिसंबर को मनाया जा रहा है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पहली पत्नी देवी रुक्मिणी के जन्म की याद में मनाया जाता है।
सनातन धर्म में 33 करोड़ यानी कि 33 प्रकार के देवी-देवता हैं। जिनकी पूजा विभिन्न विधि-विधान के साथ की जाती है। इन्हीं में एक नागराज वासुकी हैं। वासुकी प्रमुख नागदेवता हैं और नागों के राजा शेषनाग के भाई हैं।
चित्ररथ को एक महान गंधर्व और देवताओं के प्रिय संगीतज्ञ के रूप में माना जाता है। वह स्वर्गलोक में देवताओं के महल में निवास करते थे। उनका संगीत और गायन दिव्य था। ऐसा कहा जाता है कि कहा जाता है कि चित्ररथ के संगीत और गान में इतनी शक्ति थी कि वे अपने गाने से भगवान शिव और अन्य देवताओं को प्रसन्न कर सकते थे।
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