शाबर मंत्र पढ़ने के नियम

जानिए शाबर मंत्र पढ़ने के नियम, तांत्रिक परंपरा का हिस्सा है ये मंत्र  


शाबर मंत्र भारत की प्राचीन तांत्रिक परंपरा का हिस्सा हैं। ये अपनी सहजता और प्रभावशीलता के लिए प्रसिद्ध है। इन मंत्रों का उपयोग व्यक्ति के भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक समस्याओं का समाधान करने के लिए किया जाता है। ये मंत्र हनुमान जी की कृपा से सिद्ध माने जाते हैं और इनका सही जाप करने से वशीकरण, शत्रु निवारण, रोग मुक्ति और आत्मशुद्धि जैसी सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं।  इन मंत्रों को गुप्त रखना जरूरी है। आइए इस लेख में शाबर मंत्र के नियम, महत्व और विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

शाबर मंत्र पढ़ने के नियम


शाबर मंत्रों का सही तरीके से जप करना आवश्यक है ताकि उनकी शक्ति को पूरी तरह से महसूस किया जा सके। नीचे शाबर मंत्र जप के नियम विस्तार से बताए गए हैं। 
  1. शुद्धता और स्वच्छता का पालन:- मंत्र जाप से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। जाप के समय शारीरिक और मानसिक शुद्धता अनिवार्य है।
  2. सही स्थान और समय:- मंत्र जाप के लिए एकांत, शांत और पवित्र स्थान का चयन करें। रात्रि के शांत वातावरण में या ब्रह्म मुहूर्त में मंत्र जाप करना अधिक प्रभावी होता है।
  3. आसन का उपयोग:- कुश, ऊन, या रेशमी आसन पर बैठकर जाप करें। आसन का रंग सफेद, लाल या पीला होना शुभ माना जाता है।
  4. गुरु की भूमिका:- शाबर मंत्रों की सिद्धि के लिए गुरु से दीक्षा लेना आवश्यक है। गुरु के निर्देशों का पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ पालन करें।
  5. भोजन और आहार में संयम:- साधना के दौरान मांस, मदिरा और अन्य तामसिक पदार्थों का त्याग करें। सात्विक आहार ग्रहण करें।
  6. मंत्र को गुप्त रखें:- शाबर मंत्र को गुप्त रखना अनिवार्य है। किसी अयोग्य व्यक्ति के साथ मंत्र साझा नहीं करें। साथ ही साधना के समय मौन रहना चाहिए।
  7. मंत्र जप के दौरान अनुशासन:- मंत्र जाप करते समय मन को एकाग्र रखें। झूठ, क्रोध अथवा किसी भी चिंता से दूर रहें। साधना के दौरान धूम्रपान या अन्य नशा करना भी वर्जित है।
  8. सामग्री का चयन और उपयोग:- मंत्र जाप में उपयोग होने वाली सामग्री जैसे दीपक, धूप और नैवेद्य ताजा और शुद्ध होना चाहिए। दीपक में देशी घी का उपयोग करें। 
  9. प्रतिमा या चित्र की स्थापना:- जिस देवता से संबंधित मंत्र का जप कर रहे हैं, उनकी प्रतिमा या चित्र अपने सामने रखें। जप आरंभ करने से पहले देवता की पूजा करें।
  10. नियमित और दृढ़ता:- मंत्र की सिद्धि के लिए नियमित और निरंतर अभ्यास आवश्यक है। प्रत्येक दिन निर्धारित संख्या में मंत्र का जप करें।

ऐसे करें शाबर मंत्र की सिद्धि 


  • गुरु से दीक्षा और शक्ति प्राप्त करें।
  • गुरु मंत्र की दीक्षा लेना अनिवार्य है।
  • गुरु के बिना मंत्र की सिद्धि संभव नहीं है।
  • साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पूर्ण पालन अवश्य करें।
  • मन और शरीर को शुद्ध और संयमित रखें।
  • अनुष्ठान के दौरान दिनचर्या नियमित रखें और आलस्य से बचें।
  • साधना के लिए एक निश्चित समय और स्थान का पालन करें।
  • साधना के दौरान सभी तांत्रिक विधियों का पालन करें।
  • साधना के अंतर्गत नियमों का उल्लंघन मंत्र की सिद्धि में बाधा डाल सकता है।
  • साधना के समय एकांत में रहें और अन्य गतिविधियों से बचें।
  • साधना के दौरान मोबाइल फोन और अन्य तकनीकी उपकरणों का उपयोग नहीं करें।

शाबर मंत्रों के लाभ और उपयोग


शाबर मंत्रों का उपयोग विभिन्न प्रकार की समस्याओं का समाधान करने के लिए किया जाता है। इनमें कुछ प्रमुख लाभ हैं। 
  1. रोग निवारण: शाबर मंत्रों का उपयोग भूत-प्रेत बाधा, मानसिक तनाव, और शारीरिक रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है।
  2. शत्रु निवारण:  शत्रुओं से बचाव और उनकी गलत नीयत को समाप्त करने में शाबर मंत्र प्रभावी होते हैं।
  3. वशीकरण और सुरक्षा: शाबर मंत्रों का उपयोग वशीकरण और आत्म-सुरक्षा के लिए किया जाता है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: हनुमान जी के शाबर मंत्रों के माध्यम से साधक ज्ञान, मोक्ष, और आत्मिक संतुष्टि प्राप्त कर सकता है।

साधना के लिए आवश्यक सामग्री


  1. कुश या ऊन का आसन
  2. देशी घी का दीपक
  3. शुद्ध जल का पात्र
  4. नैवेद्य (फल, फूल एवं मिठाई) 
  5. शुद्ध माला (रुद्राक्ष या तुलसी)
  6. देवता की प्रतिमा या चित्र

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