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मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव जयंती मनाई जाती है, जिसे कालभैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन काशी के कोतवाल कहे जाने वाले भगवान काल भैरव की पूजा का विधान है। शिव पुराण के अनुसार अगहन या मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शिव जी के अंश काल भैरव का जन्म हुआ था।
कालभैरव को भगवान शिव का दूसरा रुप है, जो कि अत्यंत ही रौद्र, भयाक्रांत, वीभत्स, विकराल और प्रचंड स्वरूप है। कहा जाता है कि कालभैरव जयंती पर भैरव जी के 108 नामों को जपने से कई तरह की समस्याएं दूर हो जाती है। साथ ही इन नामों के आगे ‘ह्रीं’ बीजयुक्त के साथ108 नामों का जाप करने से शुभ फल भी प्राप्त होता है। आइए जानते हैं काल भैरव के 108 नाम व मंत्र कौन से हैं...
1. ॐ ह्रीं कामिनी-वश-कृद्-वशिने नम:।
2. ॐ ह्रीं जगद्-रक्षा-कराय नम:।
3. ॐ ह्रीं अनंताय नम:।
4. ॐ ह्रीं माया-मन्त्रौषधी-मयाय नम:।
5. ॐ ह्रीं सर्वसिद्धि प्रदाय नम:।
6. ॐ ह्रीं वैद्याय नम:।
7. ॐ ह्रीं प्रभविष्णवे नम:।
8. ॐ ह्रीं विष्णवे नम :।
9. ॐ ह्रीं पानपाय नम:।
10. ॐ ह्रीं सिद्धाय नम:।
11. ॐ ह्रीं सिद्धिदाय नम:।
12. ॐ ह्रीं सिद्धिसेविताय नम:।
13. ॐ ह्रीं कंकालाय नम:।
14. ॐ ह्रीं कालशमनाय नम:।
15. ॐ ह्रीं कला-काष्ठा-तनवे नम:।
16. ॐ ह्रीं कवये नम:।
17. ॐ ह्रीं त्रिनेत्राय नम:।
18. ॐ ह्रीं बहुनेत्राय नम:।
19. ॐ ह्रीं भैरवाय नम:।
20. ॐ ह्रीं भूतनाथाय नम:।
21. ॐ ह्रीं भूतात्मने नम:।
22. ॐ ह्रीं भू-भावनाय नम:।
23. ॐ ह्रीं क्षेत्रज्ञाय नम:।
24. ॐ ह्रीं क्षेत्रपालाय नम:।
25. ॐ ह्रीं क्षेत्रदाय नम:।
26. ॐ ह्रीं क्षत्रियाय नम:।
27. ॐ ह्रीं विराजे नम:।
28. ॐ ह्रीं श्मशानवासिने नम:।
29. ॐ ह्रीं मांसाशिने नम:।
30. ॐ ह्रीं खर्पराशिने नम:।
31. ॐ ह्रीं स्मारान्तकृते नम:।
32. ॐ ह्रीं रक्तपाय नम:।
33. ॐ ह्रीं पिंगललोचनाय नम:।
34. ॐ ह्रीं शूलपाणाये नम:।
35. ॐ ह्रीं खड्गपाणाये नम:।
36. ॐ ह्रीं धूम्रलोचनाय नम:।
37. ॐ ह्रीं अभीरवे नम:।
38. ॐ ह्रीं भैरवीनाथाय नम:।
39. ॐ ह्रीं भूतपाय नम:।
40. ॐ ह्रीं योगिनीपतये नम:।
41. ॐ ह्रीं धनदाय नम:।
42. ॐ ह्रीं अधनहारिणे नम:।
43. ॐ ह्रीं धनवते नम:।
44. ॐ ह्रीं प्रतिभागवते नम:।
45. ॐ ह्रीं नागहाराय नम:।
46. ॐ ह्रीं नागकेशाय नम:।
47. ॐ ह्रीं व्योमकेशाय नम:।
48. ॐ ह्रीं कपालभृते नम:।
49. ॐ ह्रीं कालाय नम:।
50. ॐ ह्रीं कपालमालिने नम:।
51. ॐ ह्रीं कमनीयाय नम:।
52. ॐ ह्रीं कलानिधये नम:।
53. ॐ ह्रीं त्रिलोचननाय नम:।
54. ॐ ह्रीं ज्वलन्नेत्राय नम:।
55. ॐ ह्रीं त्रिशिखिने नम:।
56. ॐ ह्रीं त्रिलोकभृते नम:।
57. ॐ ह्रीं त्रिवृत्त-तनयाय नम:।
58. ॐ ह्रीं डिम्भाय नम:।
59. ॐ ह्रीं शांताय नम:।
60. ॐ ह्रीं शांत-जन-प्रियाय नम:।
61. ॐ ह्रीं बटुकाय नम:।
62. ॐ ह्रीं बटुवेषाय नम:।
63. ॐ ह्रीं खट्वांग-वर-धारकाय नम:।
64. ॐ ह्रीं भूताध्यक्ष नम:।
65. ॐ ह्रीं पशुपतये नम:।
66. ॐ ह्रीं भिक्षुकाय नम:।
67. ॐ ह्रीं परिचारकाय नम:।
68. ॐ ह्रीं धूर्ताय नम:।
69. ॐ ह्रीं दिगंबराय नम:।
70. ॐ ह्रीं शौरये नम:।
71. ॐ ह्रीं हरिणाय नम:।
72. ॐ ह्रीं पाण्डुलोचनाय नम:।
73. ॐ ह्रीं प्रशांताय नम:।
74. ॐ ह्रीं शांतिदाय नम:।
75. ॐ ह्रीं शुद्धाय नम:।
76. ॐ ह्रीं शंकरप्रिय बांधवाय नम:।
77. ॐ ह्रीं अष्टमूर्तये नम:।
78. ॐ ह्रीं निधिशाय नम:।
79. ॐ ह्रीं ज्ञानचक्षुषे नम:।
80. ॐ ह्रीं तपोमयाय नम:।
81. ॐ ह्रीं अष्टाधाराय नम:।
82. ॐ ह्रीं षडाधाराय नम:।
83. ॐ ह्रीं सर्पयुक्ताय नम:।
84. ॐ ह्रीं शिखिसखाय नम:।
85. ॐ ह्रीं भूधराय नम:।
86. ॐ ह्रीं भूधराधीशाय नम:।
87. ॐ ह्रीं भूपतये नम:।
88. ॐ ह्रीं भूधरात्मजाय नम:।
89. ॐ ह्रीं कपालधारिणे नम:।
90. ॐ ह्रीं मुण्डिने नम:।
91. ॐ ह्रीं नाग-यज्ञोपवीत-वते नम:।
92. ॐ ह्रीं जृम्भणाय नम:।
93. ॐ ह्रीं मोहनाय नम:।
94. ॐ ह्रीं स्तम्भिने नम:।
95. ॐ ह्रीं मारणाय नम:।
96. ॐ ह्रीं क्षोभणाय नम:।
97. ॐ ह्रीं शुद्ध-नीलांजन-प्रख्य-देहाय नम:।
98. ॐ ह्रीं मुंडविभूषणाय नम:।
99. ॐ ह्रीं बलिभुजे नम:।
100. ॐ ह्रीं बलिभुंगनाथाय नम:।
101. ॐ ह्रीं बालाय नम:।
102. ॐ ह्रीं बालपराक्रमाय नम:।
103. ॐ ह्रीं सर्वापत्-तारणाय नम:।
104. ॐ ह्रीं दुर्गाय नम:।
105. ॐ ह्रीं दुष्ट-भूत-निषेविताय नम:।
106. ॐ ह्रीं कामिने नम:।
107. ॐ ह्रीं कला-निधये नम:।
108. ॐ ह्रीं कांताय नम:।
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