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शाबर मंत्र क्या है?

शाबर मंत्र क्या है?

भगवान शिव से जुड़ा होता है शाबर मंत्र, जानिए कैसे हुई शुरूआत; क्या है महत्व 


भारतीय परंपरा में मनोकामना पूर्ति और विभिन्न लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मंत्रों का जाप एक प्राचीन प्रथा है। इन मंत्रों में से एक विशिष्ट श्रेणी, जिसे शाबर मंत्र कहा जाता है अपनी प्रभावशीलता और सरलता के लिए विशेष रूप से जानी जाती है। दरअसल, ये शाबर मंत्र लोकभाषा में होते हैं और इन्हें बिना किसी कठिन प्रक्रिया के तुरंत सिद्ध भी किया जा सकता है। आइए इस आलेख में हम शाबर मंत्रों के इतिहास, महत्व, उपयोग और प्रभाव के बारे में विस्तार से जानते हैं। 


क्या है शाबर मंत्र का इतिहास? 


शाबर मंत्र का मूल तत्व भगवान शिव से जुड़ा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने सबसे पहले इन मंत्रों का उपदेश देवी पार्वती को दिया। इसके बाद महान संत गुरु गोरखनाथ ने इन मंत्रों को लोगों के बीच प्रचलित किया। शाबर मंत्रों की रचना संस्कृत के बजाय स्थानीय बोलियों में की गई है। जिससे इन्हें साधारण लोग भी आसानी से समझ सकें और इसका उपयोग कर सकें।


'शाबर’ शब्द की उत्पत्ति 


"शाबर" शब्द का मतलब है स्थानीय या देहाती। ये मंत्र ग्रामीण भारत में प्रचलित बोलियों में लिखीं हुईं हैं। जिससे इनका उपयोग सभी वर्गों के लिए सुलभ हो जाता है। शाबर मंत्र हिंदू धर्म की अद्भुत धरोहर है। इन मंत्रों की सबसे बड़ी विशेषता है कि इन्हें सिद्ध करने में कम समय लगता है। 


शाबर मंत्र की विशेषताएं


  • शाबर मंत्र लोकभाषा में होने के कारण ये मंत्र किसी के लिए भी उपयोग में आसान हैं।
  • इनमें शक्तिशाली ऊर्जा होती है, जिसका जल्दी प्रभाव दिखाता है।
  • इन मंत्रों के जाप के दौरान किसी भी त्रुटि का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।
  • वशीकरण, शत्रु नाश, रोग निवारण, नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव समाप्त करना और मनोकामना पूर्ति जैसे विभिन्न उद्देश्यों में यह उपयोगी है। 


क्या है इसका पौराणिक संदर्भ? 


पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने इन मंत्रों को आत्मज्ञान, क्रोध नियंत्रण और मोह के नाश के लिए विकसित किया है। गुरु गोरखनाथ ने बाद में इन मंत्रों को जनसामान्य के लिए सुलभ बनाया था, इन मंत्रों के माध्यम से  

  • मनुष्य अपने मानसिक और आध्यात्मिक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है।
  • आत्मा को शुद्ध कर मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
  • जीवन को किसी भी नकारात्मकता और बाधा से मुक्त किया जा सकता है।


शाबर मंत्र के विशेष लाभ


1. शीघ्र फलदायी: ये मंत्र अपेक्षाकृत जल्दी सिद्ध होते हैं और मनोवांछित फल प्रदान कर सकते हैं।

2. ऊर्जा से भरपूर: इन मंत्रों में ध्वनि तरंगों की शक्ति होती है जो सीधे प्रभाव डालती है।

3. नकारात्मक शक्तियों का निवारण: शाबर मंत्र काले जादू और नकारात्मक ऊर्जाओं के प्रभाव को समाप्त किया जा सकता है।

4. जीवन में सुधार: समृद्धि, मानसिक शांति और आत्मविश्वास में भी इससे वृद्धि होती हैं।


शाबर मंत्रों का जाप कैसे करें


शाबर मंत्र के जाप की प्रक्रिया सरल है लेकिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है जो इस प्रकार हैं। 


  1. स्नान और शुद्धि: जाप करने से पहले स्नान करें और अपनी साधना स्थली को स्वच्छ रखें।
  2. एकाग्रता: गुरु गोरखनाथ या अपने इष्ट देवता का ध्यान करते हुए जाप शुरू करें।
  3. जप माला का उपयोग: मंत्र का 108 बार जाप करें।
  4. समर्पण: पूरी ईमानदारी और श्रद्धा के साथ मंत्र का उच्चारण करें।
  5. समय: सूर्योदय से पहले का समय जाप के लिए आदर्श है।
  6. आवृत्ति: पांच दिनों तक लगातार मंत्र का जाप करने से यह सिद्ध हो जाता है।


कितना महत्वपूर्ण हैं शाबर मंत्र? 


शाबर मंत्रों में किसी प्रकार की बाधा यानी कीलक नहीं होती जिससे इनकी शक्ति पहली माला से ही प्रकट हो जाती है। 


शाबर मंत्र


ॐ ह्रीं श्रीं गों, गोरक्ष नाथाय विद्महे  
सूर्य पुत्रय धिमहि तन्नो, गोरकाशा निरंजनाः प्रकोदयाति।  
ॐ ह्रीं श्रीं गोम, हम फट स्वाहाः।  
ॐ ह्रीं श्रीं गोम, गोरक्ष हम फट स्वाहाः।  
ॐ ह्रीं श्रीं गोम गोरक्ष, निरंजनात्मने हम फट स्वाहाः।


शाबर मंत्र का उपयोग


शाबर मंत्र विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोगी हैं, जैसे:-


  • वशीकरण: किसी को प्रभावित करना। 
  • शत्रु नाश: विरोधियों को हराना।
  • रक्षा: नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाव।
  • स्वास्थ्य लाभ: रोगों का निवारण और उपचार।
  • आध्यात्मिक उन्नति: आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति।


शाबर मंत्र के जाप में बरते सावधानियां


शाबर मंत्र शक्तिशाली हैं, इसलिए श्रद्धा और सटीकता के साथ इसका जाप करना चाहिए। गुरु गोरखनाथ की देन ये मंत्र किसी भी व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक सफलता प्रदान कर सकती है। श्रद्धा, समर्पण और सच्चे इरादों के साथ शाबर मंत्र का जाप निश्चित ही फलदायी साबित होता है। हालांकि, ध्यान रखने वाली बात ये है कि इसके उच्चारण में लापरवाही ना करें और अपने उद्देश्य को भी सर्वदा शुद्ध रखें।


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