हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व है। यह पवित्र महीना भगवान विष्णु को समर्पित है। इसे धार्मिक जागरण और पुण्य कर्मों का मास भी माना जाता है। इस दौरान संयम और नियमों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि, इससे जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। साथ ही मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति भी होती है। इसलिए कार्तिक मास में विशेष यम नियम और संयम का पालन करना चाहिए। आइए इस लेख में आपको इस विशेष मास में अपनाएं जाने वाले यम नियम के बारे में बताते हैं।
शास्त्रों में कार्तिक मास को धर्म और संयम का महीना माना गया है। इस दौरान विशेष आहार-विहार और आचरण के नियमों का पालन किया जाता है। जिन्हें यम-नियम कहा जाता है। संयमित जीवन शैली का पालन व्यक्ति को रोगों से मुक्ति दिलाता है और मानसिक संतुलन के साथ आत्मिक शांति भी प्रदान करता है।
इस महीने में मांस, मछली, अंडा और नशीले पदार्थों का सेवन करना पूर्णतः वर्जित है। अतः इस दौरान इनके सेवन से बचना चाहिए।
सात्विक भोजन, जिसमें फल, सब्जियां, सूखे मेवे और अनाज शामिल हों उन्हें ग्रहण करें। बताया जाता है कि तामसिक भोजन से शरीर और मन में आलस्य और क्रोध की भावना उत्पन्न होती है। जबकि, सात्विक आहार मन को शांत और सकारात्मक बनाता है। तामसिक आहार का त्याग शारीरिक शुद्धि के साथ-साथ आत्मिक उन्नति में भी सहायक होता है।
कार्तिक मास में भूमि पर सोना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति के शरीर में सात्विक ऊर्जा का संचार होता है और मन शुद्ध होता है। बिस्तर या पलंग पर सोने के बदले भूमि पर सोने से विनम्रता और साधना की भावना भी बढ़ती है। जानकार बताते हैं कि भूमि पर सोने से व्यक्ति के भीतर आत्मसंयम का विकास होता है। जिससे वह अहंकार और भौतिक आसक्तियों से मुक्त होता है।
यदि कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन ना किया जाए तो मन और शरीर में असंतुलन उत्पन्न हो सकता है। जिससे, जीवन में समस्याएं बढ़ सकती हैं। ब्रह्मचर्य से आत्मशक्ति और मानसिक स्थिरता बढ़ती है जो साधना और भक्ति में सहायता प्रदान करती है।
इस दौरान बैंगन, दही, छाछ, और जीरा नहीं खाना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि ये खाद्य पदार्थ शरीर में दोष बढ़ा सकते हैं और साधना में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं। इस महीने का उद्देश्य शरीर को शुद्ध और हल्का रखना है ताकि मन पूजा और भक्ति में लीन हो सके।
इस महीने में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है। संध्या के समय नदी या तालाब के किनारे दीप जलाने से पापों का नाश होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करने से जीवन में शुभता का संचार होता है।
यम नियम और संयम से आत्मा की शुद्धि होती है, जिससे मन शांत और स्थिर रहता है। वहीं, सात्विक आहार से शरीर रोग मुक्त रहता है। इसके अलावा इस मास में किए गए पुण्य कर्म जीवन के पापों को नष्ट करते हैं और मोक्ष की प्राप्ति की संभावना बढ़ती है। जान लें कि भगवान विष्णु और लक्ष्मी की आराधना से जीवन में आर्थिक स्थिरता और समृद्धि भी आती है।
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