प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है। खासकर जब यह चतुर्थी एकदंत संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखकर, भगवान गणेश की पूजा से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली एकदंत संकष्टी चतुर्थी की तिथि, मुहूर्त और उपाय।
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष एकदंत संकष्टी चतुर्थी 16 मई 2025 को मनाई जाएगी। यह पर्व हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है। पंचांग के अनुसार, इस बार 16 मई को सुबह 04:02 बजे से चतुर्थी तिथि शुरू होगी और 17 मई को सुबह 05:13 बजे समाप्त होगी।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन चंद्रोदय का समय रात 11:39 बजे है। इस समय चंद्रमा का उदय होता है, जो पूजा के लिए अति शुभ माना जाता है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन खास शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन सुबह 07:15 बजे तक सिद्ध योग रहेगा, इसके बाद साध्य योग का समय होगा। इन दोनों योगों में भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार के कार्यों में सफलता मिलती है। इसके अलावा, शिववास योग भी पूरे दिन रहेगा, जिसमें भगवान शिव कैलाश पर विराजमान रहेंगे। ऐसा माना जाता है कि इस समय में भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
दिवाली पर हम अपने घर में देवी लक्ष्मी के आगमन और उनकी पूजा की पूरी तैयारियां करते हैं। लेकिन मान्यताओं के अनुसार पूजा तभी सफल मानी जाती है जब दिवाली के दिन माता लक्ष्मी के साथ गणेश और भगवान कुबेर का विधिवत पूजन किया जाता है।
दिवाली के पावन पर्व पर विशेष रूप से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा होती है। इस दिन माता रानी को कई तरह के पकवान चढ़ाए जाते हैं।
दिवाली का पर्व 31 अक्टूबर को पूरे देशभर में धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली का पावन पर्व मनाया जाता है।
दिवाली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। साल 2024 में दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी।