Sawan Sankashti Chaturthi 2025: सावन की संकष्टी चतुर्थी हैं क्यों मानी जाती है खास, भगवान शिव ने संत कुमार को बताया इसका महत्व
संकष्टी चतुर्थी प्रत्येक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आती है, लेकिन सावन मास में यह विशेष महत्व रखती है। सावन शबरी मास है, जब शिव भक्तों में अत्यधिक श्रद्धा और तप दिखाई देती है। इस माह में, शिवालयों में भोलेनाथ की भक्ति और व्रतों का क्रम बढ़ जाता है। इस बार इसकी शुरुआत 11 जुलाई से हो चुकी है और इसी महीने में संकष्टी चतुर्थी भी 14 जुलाई को पड़ रही है जो एक बेहद शुभ अवसर है।
शिवजी और संत कुमार का संदेश
शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने सावन मास की संकष्टी चतुर्थी पर संत कुमार को सिद्ध व्रत विधि बताया था। उस विधि के लिए नीचे पढ़ें:
- भक्त सुबह जल में काले तिल मिलाकर स्नान करें, जिसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी की गणपति जी की मूर्ति स्थापित करें।
- गणेश जी को दूर्वा, पुष्प, धूप-दीप सहित तिल और घी से बने लड्डुओं का भोग लगाएं, जो उनकी विशेष प्रियता का प्रतीक है।
- संकष्टी कथा का पाठ और ‘वक्रतुण्ड महाकाय…’ मंत्र का जप आवश्यक है, जिससे भगवान की कृपा मिलती है।
- चंद्रमा दर्शन के साथ ही व्रत खोला जाता है और भीगा तिल-गुड़ का मिश्रण, फल एवं दूर्वा-अर्पण किया जाता है ।
सावन की संकष्टी चतुर्थी क्यों हैं अलग?
- सावन माह का पवित्र समय: शिवजी की कृपा इससे विशेष रूप से जुड़ी है।
- दिव्य संदेश: संत कुमार को बताई गई विधि भक्तों को आत्मानुभूति और व्रत के लिए नैतिक दिशा प्रदान करती है।
व्रत का महत्व एवं लाभ
- बाधा निवारण: गणेश जी ‘विघ्नहर्ता’ कहे जाते हैं, इसलिए व्रत से मानसिक व शारीरिक रुकावटें दूर होती हैं।
- बुद्धि और सफलता: भक्तों के बुद्धि व स्पष्टता की वृद्धि होती है, जिससे कार्यों में सफलता मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: शिव-पुत्र के प्रति पूर्ण विश्वास भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
- कथा से प्रेरक: कथाओं में उल्लिखित ऋषि-शस्त्र, देवताओं और साधुओं की जीवन गाथा भक्तों को धर्म एवं सकारात्मक विचारों पर प्रेरित करती हैं।