श्रावण मास के मंगलवारों को किया जाने वाला मंगला गौरी व्रत विवाहित महिलाओं के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। यह व्रत माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है और इसका पालन पति की दीर्घायु, वैवाहिक जीवन की सुख-शांति और सौभाग्य के लिए किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत का प्रभाव तभी पूर्ण होता है जब इसे श्रद्धा, नियम और सही विधि से किया जाए, जिसमें मंगलकारी स्तोत्र का पाठ एक अत्यंत फलदायक उपाय माना गया है।
धरणीगर्भसंभूतं विद्युतेजसमप्रभम।
कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम।।
ऋणहर्त्रे नमस्तुभ्यं दु:खदारिद्रनाशिने।
नमामि द्योतमानाय सर्वकल्याणकारिणे।।
देवदानवगन्धर्वयक्षराक्षसपन्नगा:।
सुखं यान्ति यतस्तस्मै नमो धरणि सूनवे।।
यो वक्रगतिमापन्नो नृणां विघ्नं प्रयच्छति।
पूजित: सुखसौभाग्यं तस्मै क्ष्मासूनवे नम:।।
प्रसा कुरु मे नाथ मंगलप्रद मंगल।
मेषवाहन रुद्रात्मन पुत्रान देहि धनं यश:।।
हे मंगल देव! आप पृथ्वी से उत्पन्न हुए हैं, आपकी कांति बिजली के समान है।
आप युवा हैं और हाथ में शक्ति धारण करते हैं, आपको प्रणाम है।
हे ऋणमोचक, आपको नमस्कार है, जो दुखों और दरिद्रता को नष्ट करते हैं।
आपको नमस्कार है, जो प्रकाशमान हैं और सभी प्रकार के कल्याण करने वाले हैं।
देव, दानव, गंधर्व, यक्ष, राक्षस और नाग सभी आपसे सुख प्राप्त करते हैं, हे पृथ्वी के पुत्र, आपको नमस्कार है।
जो मंगल ग्रह से मनुष्यों को विघ्न डालते हैं, उनकी पूजा करने से सुख और सौभाग्य प्राप्त होता है, हे पृथ्वी के पुत्र, आपको नमस्कार है।
हे मंगल देव! मुझ पर प्रसन्न होइए, मुझे पुत्र, धन और यश दीजिए।
मंगला गौरी व्रत के दिन, विशेष रूप से पूजा के समय मंगलकारी स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत फलदायक होता है। यह स्तोत्र जीवन में आने वाली अदृश्य बाधाओं, पारिवारिक क्लेश, विवाह में अड़चन, और कुंडली के मंगल दोष को शांत करता है। स्तोत्र पाठ से वातावरण पवित्र होता है, मन एकाग्र रहता है और देवी गौरी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।