चैत्र नवरात्रि के अंतिम यानी नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। देवी सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त मां सिद्धिदात्री की विधि रूप से पूजा करते हैं, उन्हें अष्टसिद्धियों की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
नवरात्रि के अंतिम दिन विधिवत रूप से पूजा करनी चाहिए, इससे पूरे साल मां का आशीर्वाद बना रहता है। इसलिए विधि-विधान से पूजा करने के लिए यह सामग्री अत्यंत जरूरी हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र नवरात्रि का आखिरी दिन बहुत ही शुभ और आनंदमय है, इस दिन विधिपूर्वक किए गए सभी कार्य मां सिद्धिदात्री के कृपा से सिद्ध होते हैं। मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं। चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन मां की विशेष रूप से साधना करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सफलता मिलती है। साथ ही, भक्तों को दुर्लभ आशीर्वाद की भी प्राप्ति होती है और रोग-कष्ट सब दूर होता है।
साल 2025 की पहली गुप्त नवरात्रि 30 जनवरी से प्रारंभ हो रही है। माघ मास में पड़ने के कारण यह गुप्त नवरात्रि बेहद खास होती है। इस बार माघ मास में महाकुंभ भी है। ऐसे में इस गुप्त नवरात्रि का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
हिंदू धर्म में बुधवार का दिन विशेष रूप से भगवान गणेश को समर्पित है। गणेश जी को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता माना जाता है, और बुधवार को उनका पूजन विशेष फलदायी माना जाता है।
सनातन हिंदू धर्म में विभिन्न त्योहार मनाए जाते हैं। नवरात्रि भी इन्हीं में से एक है। एक साल में 4 बार नवरात्रि मनाई जाती है। इनमें से 2 नवरात्रि प्रत्यक्ष और 2 गुप्त मानी जाती हैं।
माघ और आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। 2025 की पहली गुप्त नवरात्रि माघ महीने में 30 जनवरी से श्रवण नक्षत्र और जयद योग में प्रारंभ होगी।