नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान भक्त विशेष रूप से उपवास रखते हैं और धार्मिक अनुशासन का पालन करते हैं। लेकिन नवरात्रि के दिनों में अक्सर आपने सुना होगा कि इस दौरान प्याज-लहसुन नहीं खाना चाहिए। इसके पीछे का कारण इसके तामसिक गुणों को माना जाता है, जो नकारात्मक ऊर्जा और अशांति पैदा करते हैं। लेकिन इसके अलावा एक पौराणिक कथा भी है, जो इस बात को स्पष्ट करती है कि लहसुन और प्याज का सेवन धार्मिक अनुष्ठानों में क्यों वर्जित है। आइए जानते हैं इस कथा के बारे में।
समुद्र मंथन की कथा में एक दिलचस्प मोड़ है, जो लहसुन और प्याज के वर्जित होने के पीछे के कारण को बताता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत के साथ-साथ कुछ ऐसे जीव भी उत्पन्न हुए, जो अमृत के पात्र नहीं थे। इनमें से दो प्रमुख पात्र थे राहु और केतु। ये दोनों पहले देवताओं के साथ थे लेकिन बाद में राक्षसों के साथ मिल गए थे। ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत प्राप्ति के विवाद में भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया और अमृत बांटा। जब अमृत का वितरण हो रहा था, तब राहु और केतु ने छल करने की कोशिश की और देवताओं से अमृत प्राप्त करने के लिए देवताओं के रूप में खुद को बदल लिया। वहीं सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उसका सिर काट दिया।
राहु का सिर अमृत पीने से पहले ही काट दिया गया और केतु का धड़ अमृत से वंचित रहा। इस कारण राहु और केतु का अस्तित्व अधूरा रह गया और वे आकाश में अपनी काली छाया छोड़ते रहते हैं। जहां उनका रक्त गिरा वहीं लहसुन-प्याज की उत्पत्ति हुई और इसलिए व्रत के दौरान इनका सेवन वर्जित माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि लहसुन और प्याज खाने से राहु और केतु के प्रभाव को बढ़ावा मिलता है क्योंकि ये दोनों ही तामसी गुणों वाले होते हैं। ज्योतिषशास्त्र और आयुर्वेद में कहा जाता है कि व्रत के दौरान इनका सेवन नहीं करना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार, लहसुन और प्याज को तामसिक आहार माना जाता है जो शरीर में गर्मी, जलन और उत्तेजना को बढ़ावा देते हैं। नवरात्रि जैसे समय में जब शरीर को शांति और ताजगी की आवश्यकता होती है, तो हल्के और शुद्ध आहार का सेवन करना उचित होता है। इस दौरान, फल, दही, दूध और साबूदाना जैसे आहार शरीर को आवश्यक पोषण प्रदान करते हैं और मन को शांति प्रदान करते हैं। आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार, नवरात्रि के दौरान लहसुन और प्याज का सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह शरीर की शांति और ताजगी को बाधित कर सकता है।
हो के नाचूं अब दिवाना,
मैं प्रभु श्रीराम का,
है सुखी मेरा परिवार,
माँ तेरे कारण,
शाबर मंत्र भारत की प्राचीन तांत्रिक परंपरा का हिस्सा हैं। ये अपनी सहजता और प्रभावशीलता के लिए प्रसिद्ध है। इन मंत्रों का उपयोग व्यक्ति के भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक समस्याओं का समाधान करने के लिए किया जाता है।
हाजीपुर केलवा महँग भेल हे धनिया
छोड़ी देहु आहे धनि छठी रे वरतिया