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दूधिया भैरव मंदिर दिल्ली

दूधिया भैरव मंदिर दिल्ली

दिल्ली का दूधिया भैरव मंदिर, जहां दूध और मदिरा चढ़ाया जाता है 


श्री दूधिया बाबा भैरव  मंदिर, बाबा भैरव नाथ जी को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध से पहले भीम ने इस क्षेत्र में निवास करते हुए सिद्धियाँ प्राप्त की थी। इस मंदिर में 2 खंड हैं, पहला खंड दुधिया भैरव मंदिर है, जहां दूध चढ़ाया जाता है और दूसरा किलकारी भैरव मंदिर है, जहां मदिरा चढ़ाई जाती है। इसके पीछे का कारण यह है कि लोग अपनी अंतिम मदिरा को भगवान को प्रण के रूप में चढ़ाते हैं।  उसके बाद मदिरा का सेवन करने की आदत हमेशा के लिए छोड़ देते हैं। अगर आपको इस तरह के प्रसाद को चढ़ाने में असहजता है तो उसी सड़क पर स्थित दूधिया भैरव के मंदिर में जा सकते हैं, जिसमें देव कच्चा दूध और फल स्वीकार करते हैं। 



भैरव के होते है दो रूप 


कलाकृतियों में भैरव के दो रूप होते हैं। पहले रूप में वह गले में खोपड़ियों की माला पहने होते हैं। साथ ही कटोरे से रक्त या शराब पीते हुए, एक उन्मत्त कुत्ते पर सवार रहते है। वहीं उनका दूसरा रूप बच्चे का होता है। कुत्ते पर सवार और हाथ में मनुष्य का सिर पकड़े हुए। पहले रूप को काल भैरव कहते हैं।दूसरे भैरव को गोरा भैरव कहते है। काल भैरव शराब पीते हैं और भांग व धतूरा जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। लेकिन गोरा भैरव दूध पीते हैं। 



मंदिर की विशेषता 


दुनिया में काल भैरव बाबा को समर्पित कई मंदिर हैं, जिनकी अपनी मान्यता और महत्व है। उन्हीं में से एक दिल्ली के काल भैरव बाबा का मंदिर भी है। दिल्लीवासियों के बीच काल भैरव का यह बाबा मंदिर बहुत ही फेमस है। साल भर यहां बाबा भैरव के दर्शन करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहा है। खासतौर पर रविवार के दिन यहां पर बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता है कि यहां पर सिर्फ एक बार सिर झुकाने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं। यही कारण है कि ये मंदिर आज भी लोगों के लिए आस्था का केन्द्र बना हुआ है। 



कैसे पहुंचे


इस मंदिर में पहुंचने के लिए आपको ब्लू लाइन मेट्रो से सुप्रीम कोर्ट, प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन पर उतरना होगा गेट नंबर 1 से बाहर निकलते ही कुछ दूरी पर आपको यह मंदिर मिल जाएगा।


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रंग पंचमी कैसे मनाई जाती है

रंग पंचमी भारत का एक प्रमुख रंगीन त्योहार है, जो होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है। इसे भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की होली से जोड़कर देखा जाता है।

रंग पंचमी कब है और इसका महत्व

रंग पंचमी भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है, जिसे होली के पांचवें दिन उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। यह केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व से भी जुड़ा हुआ है।

लक्ष्मी जयंती की मुहूर्त और तिथि

लक्ष्मी जयंती को मां लक्ष्मी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस तिथि पर मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था।

मीन संक्रांति की तिथि और मुहूर्त

मान्यता के अनुसार मीन संक्रांति तब मनाई जाती है जब भगवान सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं, और यह फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होता है।

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