हिंदू पंचांग में अमावस्या के बाद आने वाली प्रतिपदा तिथि को चंद्र दर्शन का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन भक्त चंद्र देव के दर्शन और पूजन के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं। शास्त्रों के अनुसार चंद्रमा मन, भावनाओं और मानसिक शांति का कारक है। इसलिए चंद्र दर्शन का व्रत मानसिक संतुलन, सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। वर्ष 2026 में कुल 12 बार चंद्र दर्शन का पर्व आएगा, जिनकी तिथियां और समय अलग अलग होंगे। ज्योतिषीय दृष्टि से भी यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, विशेषकर उन लोगों के लिए जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर स्थिति में हो।
2026 में चंद्र दर्शन हर माह अमावस्या के बाद प्रतिपदा तिथि को किया जाएगा।
इन सभी तिथियों पर सूर्यास्त के बाद सीमित समय के लिए चंद्रमा के दर्शन होते हैं। पंचांग के अनुसार चंद्र दर्शन का समय हर महीने अलग होता है, इसलिए व्रत और पूजन से पूर्व सही समय अवश्य देखना चाहिए।
शास्त्रों में चंद्रमा को मन और भावनाओं का स्वामी कहा गया है। चंद्र दर्शन का व्रत रखने से मानसिक तनाव कम होता है और मन को शांति मिलती है। मान्यता है कि इस दिन चंद्र देव की पूजा करने से सौभाग्य, समृद्धि और पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र दोष, मानसिक अस्थिरता और भावनात्मक असंतुलन को दूर करने में यह व्रत सहायक माना जाता है। विशेष रूप से जिन लोगों को नींद की समस्या, चिड़चिड़ापन या मन की अशांति रहती है, उनके लिए चंद्र दर्शन अत्यंत लाभकारी होता है।
चंद्र दर्शन के दिन भक्त प्रायः दिनभर उपवास रखते हैं और सफेद वस्त्र धारण करते हैं। सूर्यास्त के बाद जब चंद्रमा दिखाई दे, तब स्नान कर स्वच्छ स्थान पर पूजन किया जाता है। चंद्र देव को जल, दूध, सफेद फूल, तिल और खीर अर्पित की जाती है। इसके बाद ॐ चंद्राय नमः या ॐ सोमाय नमः मंत्र का जाप किया जाता है। जल अर्घ्य देकर मानसिक शांति और सुख समृद्धि की प्रार्थना की जाती है। चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है और यथाशक्ति दान पुण्य भी किया जाता है।
चंद्र दर्शन का नियमित पालन करने से मन शांत रहता है और नकारात्मक विचारों में कमी आती है। यह व्रत भावनात्मक स्थिरता प्रदान करता है और पारिवारिक जीवन में सामंजस्य बढ़ाता है। ज्योतिषीय रूप से चंद्रमा की स्थिति मजबूत होने से व्यक्ति को मान सम्मान, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आध्यात्मिक दृष्टि से चंद्र दर्शन आत्मशुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का माध्यम माना गया है, इसलिए इसे श्रद्धा और विधिपूर्वक करना उत्तम फलदायी होता है।