इंदिरा एकादशी आश्विन माह में मनाई जाने वाली 24 एकादशियों में से एक है, जो पितृपक्ष में आती है। धर्मशास्त्र के अनुसार पितृपक्ष को तर्पण और श्राद्ध के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। यह समय विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयुक्त है, जिन्होंने अभी तक अपने पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध नहीं किया है या जो पितृदोष से पीड़ित हैं। लेकिन पितृ पक्ष में कुछ तिथियां ऐसी होती हैं जिन्हें श्राद्ध के लिए अधिक शुभ माना जाता है और उनका विशेष महत्व होता है। जैसे कि इंदिरा एकादशी की तिथि, जो इस वर्ष 17 सितंबर बुधवार को पड़ेगा।
हिंदू धर्मग्रंथों में एकादशी का स्थान हमेशा विशेष रहा है, जो उपवास, दान और आत्मशुद्धि का समय होता है। इंदिरा एकादशी इसलिए अधिक म हत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि यह पूर्वजों के उत्कर्ष और मोक्ष की मान्यताओं से जुड़ी है। शास्त्रों में लिखा है कि पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें यमलोक के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा, सूक्ष्म शरीर और श्राद्धों के महत्व की जानकारी दी गई है। गरुड़ पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति एकादशी व्रत करता है और उसकी मृत्यु एकादशी तिथि पर होती है, तो उसे यमलोक के कष्टों का सामना नहीं करना परता है। इसलिए पितृ पक्ष में एकादशी तिथि का श्राद्ध बहुत महत्वपूर्ण है। ये पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है और उनके लिए मोक्ष के द्वार खोलता है।