हिंदू धर्म में कार्तिक माह को अत्यंत पुण्यदायी और पवित्र माना गया है। यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित होता है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस अवधि में किए गए हर शुभ कार्य, पूजा-पाठ और दान का फल कई गुना बढ़कर मिलता है। इसी कारण इस महीने में तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाने की परंपरा अत्यंत विशेष मानी जाती है। कार्तिक मास, जिसे दामोदर मास भी कहा जाता है। बता दें कि इस वर्ष कार्तिक मास 8 अक्टूबर से शुरू होकर 6 नवंबर तक रहेगा। मान्यता है कि इस दौरान प्रतिदिन तुलसी के समीप दीपदान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। ऐसे में आइये जानते हैं कार्तिक मास में तुलसी के पास दीपक जलाने का क्या महत्व है?
कार्तिक मास में तुलसी के पास दीपक जलाना बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस पवित्र महीने में तुलसी के समीप दीपदान करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, धन-समृद्धि बढ़ती है और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। ऐसा करने से न सिर्फ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं बल्कि पितरों की तृप्ति होती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिससे परिवार में सुख, शांति और सौभाग्य का वास होता है। हालांकि, कार्तिक मास के दौरान रविवार और एकादशी के दिन तुलसी पर जल अर्पित करने या उसके पत्ते तोड़ने से परहेज करना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ माना गया है।
कार्तिक मास में तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाना न केवल परंपरा का हिस्सा है, बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि लाने का तरीका भी माना जाता है। इस शुभ क्रिया को हर दिन शाम के समय विशेषकर सूर्यास्त के बाद किया जाना चाहिए। दीपक घी या तिल के तेल से जलाएं - देसी गाय का घी इसके लिए सबसे अधिक मंगलकारी माना जाता है। साथ ही, इस मास में सुबह-शाम तुलसी की पूजा करना भी बेहद फलदायी है।
समय
कार्तिक मास में तुलसी के पास दीपक जलाने का सबसे शुभ समय संध्या बेला यानी सूर्यास्त के तुरंत बाद का होता है। माना जाता है कि इस समय दीपदान करने से घर में दिव्यता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
घी या तेल
दीपक के लिए शुद्ध देसी गाय का घी सबसे शुभ माना गया है। अगर घी उपलब्ध न हो तो तिल के तेल का प्रयोग किया जा सकता है। ध्यान रखें — सरसों के तेल से दीपक न जलाएं, इसे कार्तिक मास में अशुभ माना गया है।
दिशा और दीपक
तुलसी के पौधे के पास मिट्टी, तांबे या आटे से बने दीपक को उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में रखें। इस दिशा में दीप जलाना समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
आरती और जल अर्पण
दीपक जलाने के बाद तुलसी माता की आरती करें। आरती उसी दीपक से की जा सकती है। साथ ही सुबह और शाम तुलसी को जल चढ़ाना भी अत्यंत शुभ माना गया है।
नियम
रविवार और एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना या जल चढ़ाना वर्जित है। इन दिनों केवल तुलसी के दर्शन कर मन ही मन प्रार्थना करें।
स्वास्तिक और मंत्र
तुलसी के गमले पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाना शुभता का प्रतीक है। दीपक जलाने के बाद यह मंत्र अवश्य बोलें —
“शुभं करोति कल्याणं, आरोग्यं धनसंपदाम्,
शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोऽस्तुते॥”
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