करवा चौथ व्रत का हिंदू परंपरा में बहुत विशेष महत्व है। सुहागिन महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी आयु और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि की कामना के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। यह व्रत सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करने के बाद शुरू होता है और रात में चंद्रमा के दर्शन के साथ पूरा होता है। मान्यता है कि इस व्रत को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करने पर पति-पत्नी के बीच प्रेम और सौभाग्य स्थायी होता है।
सुबह सूर्योदय से पहले महिलाएं सरगी ग्रहण करती हैं। सरगी में सास द्वारा दी गई थाली में फल, मिठाई, सूखे मेवे और पारंपरिक पकवान होते हैं। इसके बाद महिलाएं पूरे दिन निर्जल व्रत रखती हैं। शाम को श्रृंगार कर चौथ माता, भगवान शिव, माता पार्वती और करवा माता की पूजा करती हैं। व्रत कथा सुनने के बाद महिलाएं चंद्रमा के उदय होने का इंतजार करती हैं। जब चंद्रमा आकाश में उदित होता है, तो चलनी की ओट से उसका दर्शन करती हैं और अर्घ्य अर्पित करती हैं। इसके बाद पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत खोलती हैं।
पंचांग के अनुसार, इस साल करवाचौथ के दिन सिद्ध योग और व्यतीपात योग का संयोग बन रहा है। जहां सिद्ध योग को शुभ और सफलता देने वाला माना जाता है, वहीं इसके बाद लगने वाला व्यतीपात योग अशुभ फल देने वाला बताया गया है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, व्यतीपात योग में किया गया कोई भी शुभ कार्य बाधा या अपूर्णता से ग्रस्त हो सकता है। इसलिए इस योग से पहले करवा चौथ की पूजा पूरी करने की सलाह दी गई है।
इस साल 10 अक्टूबर 2025 को करवाचौथ का पर्व मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, इस दिन शाम 05:42 बजे से व्यतीपात योग शुरू हो जाएगा। इसलिए शुभ फल प्राप्त करने के लिए पूजा और कथा का कार्य 05:42 बजे से पहले ही पूरा कर लेना चाहिए। इसके बाद केवल चंद्रोदय काल में चंद्र दर्शन, चंद्र पूजन और जल अर्पण का विधान ही करना शुभ रहेगा।
काशी के सर्वमान्य पंचांगों — ऋषिकेश और महावीर पंचांग — के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10:55 बजे से आरंभ होकर 10 अक्टूबर की शाम 07:39 बजे तक रहेगी। इस दिन चंद्रोदय का समय रात 8:03 बजे रहेगा। महिलाएं इसी समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा करेंगी।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्यतीपात योग में की गई पूजा का प्रभाव घट सकता है। इसलिए शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ कर लेनी चाहिए। सिद्ध योग में व्रत और पूजा का विशेष फल मिलता है, अतः महिलाएं इस समय में भगवान शिव-पार्वती और चौथ माता का ध्यान करें।