Maa Baglamukhi Katha: कैसे हुआ देवी बगलामुखी का अवतरण? जानें इसके पीछे की रोचक पौराणिक कथा
देवी बगलामुखी 10 महाविद्याओं में से एक आठवीं महाविद्या हैं, जो पूर्ण जगत की निर्माता, नियंत्रक और संहारकर्ता हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और जीवन की अनेकों बाधाओं से मुक्ति मिलती है। मां बगलामुखी को पीतांबरा, बगला, वल्गामुखी, बगलामुखी, ब्रह्मास्त्र विद्या आदि नामों से भी जाना जाता है। उनकी उत्पत्ति की कथा महाविनाशकारी ब्रह्मांडीय तूफान से जुड़ी हुई है। ऐसे में आइये जानते हैं कि माता बगलामुखी का प्राकट्य कैसे हुआ? साथ ही जानेंगे उनकी पूजा में किन विशेष बातों का खास तौर पर ध्यान रखना चाहिए।
बगलामुखी जयंती 2025 कब है?
पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरूआत 4 मई 2025, रविवार के दिन सुबह 7 बजकर 18 मिनट पर होगी। जो 5 मई 2025, सोमवार के दिन सुबह 7 बजकर 35 मिनट तक जारी रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, बगलामुखी जयंती 5 मई को मनाई जाएगी, यानी कि माता बगलामुखी के नाम का जाप या फिर उनकी सूक्ष्म में पूजा इस दिन होगी लेकिन विधिवत पूजा प्रदोष काल यानी कि 4 मई की शाम को की जाएगी।
माता बगलामुखी की कथा
एक समय की बात है, जब सतयुग में एक महाविनाशकारी ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ। यह तूफान इतना शक्तिशाली था कि संपूर्ण विश्व को नष्ट करने की क्षमता रखता था। भगवान विष्णु ने इस तूफान को रोकने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन कोई भी उपाय काम नहीं आया। भगवान विष्णु ने भगवान शिव से परामर्श किया और उन्होंने कहा कि इस विनाश को रोकने के लिए शक्ति रूप के अतिरिक्त अन्य कोई नहीं कर सकता। भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुंच कर कठोर तप किया और देवी शक्ति को प्रसन्न करने के लिए प्रार्थना की। देवी शक्ति ने भगवान विष्णु की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें अपनी शक्ति का दर्शन दिया। देवी ने महात्रिपुरसुंदरी के रूप में भगवान विष्णु को इच्छित वर दिया और ब्रह्मांडीय तूफान को रोक दिया। इस प्रकार, देवी बगलामुखी के रूप में देवी शक्ति ने विश्व को विनाश से बचाया। देवी बगलामुखी त्रैलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या हैं, जो शत्रुओं का नाश करने वाली और बुरी शक्तियों को पराजित करने वाली हैं। उनकी उपासना से भक्त के जीवन की हर बाधा दूर होती है और शत्रुओं का नाश होता है। देवी बगलामुखी को पीताम्बरा, बगला, वल्गामुखी, वगलामुखी, और ब्रह्मास्त्र विद्या आदि नामों से भी जाना जाता है।
माता की पूजा के समय इन विशेष बातों का रखें ध्यान
- पूजा में पीले वस्त्र, पीले फूल, हल्दी, और पीले फल का प्रयोग करना चाहिए।
- माता के मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए।
- पूजा के समय शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए।
- पूजा में नियमितता और श्रद्धा का महत्व है।
- रात में साधना करना अधिक शुभ माना जाता है।
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