हिंदू धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु की आराधना के लिए सबसे शुभ मानी जाती है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है, जो प्रायः नवंबर या दिसंबर के महीने में पड़ती है। इस दिन भक्त माता एकादशी और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइये जानते हैं यह पवित्र व्रत किस दिन पड़ेगा, शुभ मुहूर्त क्या है और इस दिन पूजा कैसे करें।
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 15 नवंबर को देर रात 12 बजकर 49 मिनट पर होगा , जो 16 नवंबर को देर रात 02 बजकर 37 मिनट तक जारी रहेगी। ऐसे में 15 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी व्रत किया जाएगा और 16 नवंबर को किया जाएगा।
जो श्रद्धालु उत्पन्ना एकादशी व्रत का पालन करेंगे, वे इस दिन भगवान विष्णु और देवी एकादशी की पूजा सुबह 8:04 बजे से 9:25 बजे के बीच कर सकते हैं, जो इस तिथि का सबसे शुभ और उत्तम मुहूर्त माना गया है। पूजा से पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठना अत्यंत फलदायी होता है, जो इस दिन सुबह 4:58 बजे से 5:51 बजे तक रहेगा। इसके अलावा दिन का अभिजीत मुहूर्त भी अत्यंत शुभ है, जो 11:44 बजे से 12:27 बजे तक रहेगा। इन समयों में पूजा, जप या व्रत संबंधी कार्य करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस दिन व्रत का पारण करने का समय दोपहर 12 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 08 मिनट तक है।
पूजा सामग्री
पूजा विधि
पूजा मंत्र
ऊं नमो भगवते वासुदेवाय।।
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्।
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्॥
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्।
वन्दे विष्णुम् भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥