पापमोचनी एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है, और मोक्ष की प्राप्ति करता है। लेकिन अगर व्रत के दौरान कुछ नियमों का पालन न किया जाए या अनजाने में कुछ गलतियां हो जाएं, तो व्रत का फल पूरा नहीं मिलता है। इसलिए यह आवश्यक है कि व्रत करने वाला को इन नियमों का विशेष रूप से पालन करना चाहिए।
हिंदू धर्म में यमदेवता को मृत्यु के देवता के रूप में पूजा जाता है। यमराज या यमदेवता को संसार में मृत्यु के बाद आत्माओं का न्याय करने वाला देवता माना जाता है। वे पाताल लोक (नरक) के शासक हैं और मृत आत्माओं का मार्गदर्शन करते हैं।
माघ माह का प्रारंभ होने जा रहा है। इस दौरान बड़ी संख्या में कल्पवासी संगम तट पर पहुंचने वाले हैं। पुराणों में भी इस महीने का वर्णन किया गया है। कहा जाता है कि इस महीने में भगवान विष्णु गंगा जल में निवास करते हैं। इसी कारण गंगा स्नान को विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है। धर्म ग्रंथों में इस महीने के दौरान गंगा स्नान के महत्व को विस्तार से बताया गया है।
महाकुंभ मेला, जो हर 12 वर्षों में एक बार आयोजित होता है, हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु एकत्र होकर संगम स्थलों पर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। विशेष रूप से शाही स्नान का अत्यधिक महत्व है, जो महाकुंभ के मुख्य आकर्षणों में से एक है।
महाकुंभ, दुनिया के सबसे बड़ा धार्मिक अनुष्ठान है। हर 12 साल में इसका आयोजन किया जाता है। इस दौरान करोड़ों श्रद्धालु एक जगह इकट्ठा होते हैं। प्रयागराज के कुंभ में भी बड़ी संख्या में लोग आने वाले हैं।