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पितृपक्ष 2025 अष्टमी श्राद्ध मुहूर्त

पितृपक्ष 2025 अष्टमी श्राद्ध मुहूर्त

Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष का अष्टमी श्राद्ध, इस मुहूर्त में करें तर्पण और श्राद्ध कर्म की विधि

पितृपक्ष में हर तिथि का अपना विशेष महत्व है। इस काल में किए गए श्राद्ध से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। रविवार, 14 सितम्बर 2025 को अष्टमी श्राद्ध किया जाएगा। यह दिन उन परिवारजनों के लिए समर्पित है जिनकी मृत्यु अष्टमी तिथि को हुई हो। मान्यता है कि अष्टमी श्राद्ध करने से पूर्वजों की आत्मा शांति प्राप्त करती है और परिवार पर संकट नहीं आता।

अष्टमी श्राद्ध का पंचांग और मुहूर्त

  • कुतुप मुहूर्त – 11:28 एएम से 12:17 पीएम (49 मिनट)
  • रौहिण मुहूर्त – 12:17 पीएम से 01:07 पीएम (49 मिनट)
  • अपराह्न काल – 01:07 पीएम से 03:34 पीएम (02 घण्टे 28 मिनट)
  • अष्टमी तिथि प्रारम्भ – 14 सितम्बर 2025 को सुबह 05:34 बजे
  • अष्टमी तिथि समाप्त – 15 सितम्बर 2025 को सुबह 03:36 बजे

अष्टमी श्राद्ध की विशेषता

इस दिन केवल वही परिवारजन श्राद्ध करते हैं जिनके प्रियजन का निधन अष्टमी तिथि को हुआ हो। चाहे वह शुक्ल पक्ष हो या कृष्ण पक्ष, दोनों ही पक्षों में यह तिथि मान्य है। पितृपक्ष के अन्य श्राद्धों की तरह यह भी पार्वण श्राद्ध कहलाता है।

धार्मिक मान्यता है कि अष्टमी तिथि का श्राद्ध पितरों को संतुष्ट कर पितृदोष से मुक्ति दिलाता है। यह दिन खासकर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने पितरों का स्मरण और तर्पण करना चाहते हैं लेकिन किसी अन्य तिथि पर यह संभव नहीं हो पाता।

श्राद्ध विधि

  • श्राद्ध की शुरुआत संकल्प से होती है। ब्राह्मणों को आमंत्रित कर भोजन और दान देना आवश्यक माना गया है।
  • सबसे पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण किए जाते हैं।
  • पवित्र आसन पर बैठकर तिल, जल और कुश से तर्पण किया जाता है।
  • श्राद्ध कर्म कुतुप या रौहिण मुहूर्त में करना श्रेष्ठ होता है, लेकिन अपराह्न काल भी मान्य है।
  • अंत में ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा देकर आशीर्वाद लिया जाता है।

पौराणिक मान्यता

अष्टमी श्राद्ध के संबंध में पुराणों में उल्लेख है कि इस दिन पितरों को याद करने से वे प्रसन्न होकर संतति को दीर्घायु, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। कहा जाता है कि इस दिन किए गए श्राद्ध का फल कई गुना अधिक मिलता है।

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