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पितृपक्ष 2025 चतुर्थी श्राद्ध मुहूर्त

पितृपक्ष 2025 चतुर्थी श्राद्ध मुहूर्त

Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष का चतुर्थी श्राद्ध, इस मुहूर्त में करें तर्पण और श्राद्ध कर्म की विधि

सनातन परंपरा में पितृपक्ष का हर दिन विशेष महत्व रखता है। इस अवधि में पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से तर्पण, पिंडदान और श्रद्धा की अपेक्षा करते हैं। 2025 में पितृपक्ष का चौथा श्राद्ध 11 सितम्बर, गुरुवार को होगा, जिसे चतुर्थी श्राद्ध या चौथ श्राद्ध कहा जाता है।

चतुर्थी श्राद्ध का महत्व

यह श्राद्ध उन दिवंगत परिजनों के लिए किया जाता है जिनका निधन चतुर्थी तिथि को हुआ हो। चाहे वह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी हो या कृष्ण पक्ष की, इस दिन उनका श्राद्ध करने से आत्मा की तृप्ति होती है और परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। शास्त्रों में कहा गया है कि पितरों की प्रसन्नता से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

चतुर्थी श्राद्ध का मुहूर्त

ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस बार चतुर्थी श्राद्ध के मुहूर्त इस प्रकार रहेंगे—

  • कुतुप मुहूर्त: 11:29 एएम से 12:19 पीएम (49 मिनट)
  • रौहिण मुहूर्त: 12:19 पीएम से 1:08 पीएम (49 मिनट)
  • अपराह्न काल: 1:08 पीएम से 3:36 पीएम (2 घंटे 30 मिनट)
  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 10 सितम्बर को 4:07 पीएम
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 11 सितम्बर को 01:15 पीएम

इन्हीं समयावधियों में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना सबसे श्रेष्ठ माना गया है।

श्राद्ध कर्म की विधि

  • प्रातः स्नान करके पवित्र वस्त्र धारण करें और दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • पितरों का आह्वान करते हुए जल, कुशा, तिल और पुष्प से तर्पण करें।
  • इसके बाद चावल, जौ और तिल से बने पिंड अर्पित करें।
  • ब्राह्मण को भोजन कराना, दक्षिणा देना और दान करना श्राद्ध का आवश्यक अंग है।
  • अंत में गाय, कौवे, कुत्ते और चींटियों को अन्न देना चाहिए, क्योंकि इन्हें पितरों का प्रतीक माना गया है। 

पौराणिक मान्यता

धर्मग्रंथों के अनुसार, पितरों की तृप्ति से न केवल उनके वंशजों के जीवन की बाधाएं दूर होती हैं, बल्कि परिवार में संतति, धन और समृद्धि का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि तर्पण और श्राद्ध से पितृलोक में रहने वाली आत्माएं प्रसन्न होती हैं और अपने आशीर्वाद से संतान का जीवन सफल बनाती हैं।

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