पितृपक्ष में हर तिथि का अपना विशेष महत्व है। पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध अनुष्ठान किया जाता है। इस बार दशमी श्राद्ध मंगलवार, 16 सितम्बर 2025 को पड़ रहा है। जिन परिवारजनों का निधन दशमी तिथि को हुआ हो, उनके लिए इस दिन पिंडदान और तर्पण करना श्रेष्ठ माना गया है।
श्राद्ध के लिए कुतुप और रौहिण मुहूर्त को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। अपराह्न काल में भी श्राद्ध और तर्पण किया जा सकता है।
धर्मशास्त्रों के अनुसार, दशमी तिथि को किए गए श्राद्ध से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे संतानों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। जिन लोगों के परिवार में दशमी तिथि को मृत्यु हुई हो, उनके लिए यह दिन विशेष रूप से पवित्र है।
मान्यता है कि दशमी तिथि पर श्राद्ध करने से परिवार में स्थिरता आती है, संतान का जीवन सुरक्षित रहता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। पितरों का आशीर्वाद मिलने से आर्थिक उन्नति और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी दूर होती हैं।
दशमी श्राद्ध करने के लिए सुबह स्नान और संकल्प के बाद पितरों का ध्यान किया जाता है।
शास्त्रों में कहा गया है – "श्राद्धेन तर्पिता ये तु प्रीयन्ते पितरः सदा।" अर्थात श्राद्ध और तर्पण से पितर प्रसन्न होकर परिवार पर कृपा करते हैं।