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पितृपक्ष 2025 नवमी श्राद्ध मुहूर्त

पितृपक्ष 2025 नवमी श्राद्ध मुहूर्त

Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष का नवमी श्राद्ध, इस मुहूर्त में करें तर्पण और श्राद्ध कर्म की विधि

पितृपक्ष का हर दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए खास माना जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को जो लोग इस दुनिया को छोड़कर चले गए हैं, उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता है। इस साल नवमी श्राद्ध सोमवार, 15 सितम्बर 2025 को होगा। इसे मातृ नवमी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन विशेष रूप से माताओं और महिला पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करने का विधान है।

पंचांग और मुहूर्त

  • कुतुप मुहूर्त – 11:28 एएम से 12:17 पीएम (49 मिनट)
  • रौहिण मुहूर्त – 12:17 पीएम से 01:06 पीएम (49 मिनट)
  • अपराह्न काल – 01:06 पीएम से 03:33 पीएम (02 घण्टे 27 मिनट)
  • नवमी तिथि प्रारंभ – 15 सितम्बर 2025 को 03:36 एएम
  • नवमी तिथि समाप्त – 16 सितम्बर 2025 को 02:01 एएम

इन समयों में श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करना अत्यंत शुभ माना गया है।

नवमी श्राद्ध का महत्व

नवमी तिथि को श्राद्ध करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और परिवार को आशीर्वाद देते हैं। खासतौर पर जिन महिलाओं की मृत्यु इस दिन हुई हो, उनके लिए यह तिथि सर्वोत्तम मानी जाती है। इसलिए इसे मातृ नवमी कहा जाता है। धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि इस दिन श्राद्ध करने से न केवल मृत माताओं की आत्मा तृप्त होती है, बल्कि परिवार की समस्त महिला पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।

इसे अविधवा नवमी या नौमी श्राद्ध भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध मातृ ऋण से मुक्ति दिलाता है और परिवार में सौभाग्य व समृद्धि बढ़ाता है।

श्राद्ध विधि

नवमी के दिन प्रातः स्नान कर संकल्प लिया जाता है। ब्राह्मणों को आमंत्रित कर श्राद्ध कर्म आरंभ किया जाता है।

  • पवित्र कुश से आसन बनाकर बैठते हैं।
  • मृतक का नाम और गोत्र उच्चारित कर तर्पण करते हैं।
  • पिंडदान में तिल, चावल और जल का उपयोग होता है।
  • श्राद्ध के बाद ब्राह्मण भोजन और दान दिया जाता है।
  • अंत में पितरों से क्षमा याचना कर आशीर्वाद की कामना की जाती है।

क्या करें और क्या न करें

  • इस दिन घर में सात्विक भोजन ही बनाना चाहिए।
  • मांस, मदिरा और तामसिक भोजन पूर्णतया वर्जित है।
  • पितरों को प्रसन्न करने के लिए तिल और जल का दान विशेष फलदायी है।
  • गरीबों और गौसेवा करने से पुण्य कई गुना बढ़ता है।

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