पितृपक्ष का हर दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए खास माना जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को जो लोग इस दुनिया को छोड़कर चले गए हैं, उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता है। इस साल नवमी श्राद्ध सोमवार, 15 सितम्बर 2025 को होगा। इसे मातृ नवमी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन विशेष रूप से माताओं और महिला पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करने का विधान है।
इन समयों में श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करना अत्यंत शुभ माना गया है।
नवमी तिथि को श्राद्ध करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और परिवार को आशीर्वाद देते हैं। खासतौर पर जिन महिलाओं की मृत्यु इस दिन हुई हो, उनके लिए यह तिथि सर्वोत्तम मानी जाती है। इसलिए इसे मातृ नवमी कहा जाता है। धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि इस दिन श्राद्ध करने से न केवल मृत माताओं की आत्मा तृप्त होती है, बल्कि परिवार की समस्त महिला पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
इसे अविधवा नवमी या नौमी श्राद्ध भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध मातृ ऋण से मुक्ति दिलाता है और परिवार में सौभाग्य व समृद्धि बढ़ाता है।
नवमी के दिन प्रातः स्नान कर संकल्प लिया जाता है। ब्राह्मणों को आमंत्रित कर श्राद्ध कर्म आरंभ किया जाता है।