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पितृपक्ष 2025 पंचमी श्राद्ध मुहूर्त

पितृपक्ष 2025 पंचमी श्राद्ध मुहूर्त

Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष का पंचमी श्राद्ध, इस मुहूर्त में करें तर्पण और श्राद्ध कर्म की विधि

सनातन धर्म में पितृपक्ष को पूर्वजों की स्मृति और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का काल माना गया है। इस पखवाड़े में प्रत्येक तिथि का श्राद्ध अलग-अलग महत्व रखता है। वर्ष 2025 में पितृपक्ष का पांचवां श्राद्ध 11 सितम्बर, गुरूवार को होगा, जिसे पंचमी श्राद्ध कहा जाता है।

पंचमी श्राद्ध का महत्व

यह श्राद्ध उन परिजनों के लिए किया जाता है जिनका निधन पंचमी तिथि को हुआ हो। चाहे वह शुक्ल पक्ष की पंचमी हो या कृष्ण पक्ष की, इस दिन उनका श्राद्ध करने से आत्मा को शांति मिलती है।

 पंचमी श्राद्ध को कुंवारा पंचमी भी कहा जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि जिन व्यक्तियों की मृत्यु विवाह से पूर्व हो गई हो, उनके लिए इस दिन श्राद्ध करना अनिवार्य माना गया है। इससे उन आत्माओं की तृप्ति होती है और परिवार से संबंधित पितृदोष दूर होते हैं।

पंचमी श्राद्ध का मुहूर्त

इस वर्ष पंचमी श्राद्ध के लिए शुभ समयावधि इस प्रकार है—

  • कुतुप मुहूर्त: 11:53 एएम से 12:42 पीएम (50 मिनट)
  • रौहिण मुहूर्त: 12:42 पीएम से 1:32 पीएम (50 मिनट)
  • अपराह्न काल: 1:32 पीएम से 4:02 पीएम (2 घंटे 29 मिनट)
  • पंचमी तिथि प्रारंभ: 11 सितम्बर, 12:45 पीएम
  • पंचमी तिथि समाप्त: 12 सितम्बर, 9:58 एएम

इन शुभ मुहूर्तों में तर्पण और श्राद्ध कर्म करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और उनका आशीर्वाद संतान पर बना रहता है।

श्राद्ध और तर्पण की विधि

  • प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पवित्र आसन पर बैठें।
  • दक्षिण दिशा की ओर मुख कर पितरों का आह्वान करें।
  • कुशा, तिल और जल से तर्पण करें और “ॐ पितृदेवाय नमः” का उच्चारण करें।
  • इसके बाद चावल, तिल और जौ से बने पिंड अर्पित करें।
  • ब्राह्मण भोजन और दान-दक्षिणा देना श्राद्ध का अनिवार्य अंग माना गया है।
  • अंत में कौवा, गाय, कुत्ते और चींटियों को अन्न अर्पित करें। इसे पितरों की प्रसन्नता का प्रतीक माना जाता है।

पौराणिक मान्यता

धर्मग्रंथों के अनुसार, अविवाहित मृतकों का श्राद्ध विशेष महत्व रखता है। यदि उनके लिए विधिवत तर्पण और श्राद्ध किया जाए तो उनकी आत्मा संतुष्ट होती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि पितरों के संतुष्ट होने से परिवार की बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

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