पितृपक्ष का हर दिन पूर्वजों को स्मरण करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए समर्पित है। इसी क्रम में 10 सितम्बर 2025, बुधवार को तृतीया श्राद्ध मनाया जाएगा। इसे तीज श्राद्ध भी कहा जाता है। यह दिन विशेष रूप से उन मृतक परिजनों के लिए निर्धारित है जिनका निधन तृतीया तिथि को हुआ हो। इस अवसर पर शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष – दोनों ही पक्षों की तृतीया तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है।
पंडितों के अनुसार श्राद्ध कार्य सदैव दिन के मध्याह्न में करना उत्तम माना गया है। 10 सितम्बर को तृतीया श्राद्ध के शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेंगे
इन मुहूर्तों में तर्पण और श्राद्ध कर्म करने से पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है।
गरुड़ पुराण और धर्मशास्त्रों में उल्लेख है कि पितरों की संतुष्टि के बिना किसी भी परिवार में शांति और समृद्धि संभव नहीं है। तृतीया श्राद्ध विशेष रूप से उन लोगों की आत्मा की तृप्ति के लिए किया जाता है जिनका देहांत इस तिथि को हुआ हो।
मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक किया गया श्राद्ध पितरों को मोक्ष की प्राप्ति कराता है और वंशजों के जीवन से दरिद्रता, अशांति और बाधाओं को दूर करता है। इस श्राद्ध को करने से पितृदोष का प्रभाव भी कम होता है।
धर्मग्रंथों में कहा गया है कि जब वंशज श्रद्धा भाव से पितरों का श्राद्ध करते हैं तो पितृलोक के द्वार खुल जाते हैं। संतुष्ट पितर अपने आशीर्वाद से घर-परिवार में आयु, आरोग्य, संतान सुख और धन की वृद्धि करते हैं। इसी कारण तृतीया श्राद्ध को तीज श्राद्ध के नाम से विशेष महत्व प्राप्त है।