पंचांग के अनुसार, इस वर्ष पितृपक्ष 7 सितंबर से शुरू होगा और इसी दिन इस वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण भी लग रहा है।
यह संयोग विशेष है क्योंकि जब पितृ पक्ष का पहला दिन यानी पूर्णिमा तिथि पर चंद्रग्रहण लगता है, तब तर्पण और श्राद्ध की विधियां समय के अनुसार करनी होती हैं। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि पूर्वजों से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्राद्ध और तर्पण सही समय पर सही तरीके से किया जाना चाहिए। ऐसे में चंद्रग्रहण और सूतक काल के कारण श्राद्ध का शुभ समय सीमित हो जाता है।
पंचांग और ज्योतिष गणना के अनुसार, 7 सितंबर की रात को चंद्रग्रहण लगेगा।
शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है और चूंकि ग्रहण आज रात 9:57 बजे से शुरू हो रहा है, इसलिए सूतक काल 12:57 बजे से शुरू होगा। सूतक काल प्रारंभ होने के बाद पूजा-पाठ, श्राद्ध और तर्पण वर्जित माना जाता है।
श्राद्ध और तर्पण करने का सही मुहूर्त सुबह से ही शुरू हो जाएगा, लेकिन 12:57 बजे सूतक काल शुरू हो रहा है, इसलिए उस मुहूर्त के बाद तर्पण न करें।
तर्पण के लिए जल से भरा लोटा, कुश की जूड़ी, तिल और अक्षत तैयार करें फिर पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर कुशा की जूड़ी को पितरों का प्रतीक बनाएं। इसके बाद ‘ॐ पितृदेवाय नमः’ मंत्र का जप करते हुए जल से भरे लोटे में तिल और अक्षत डालकर पितरों को स्मरण करते हुए धीरे-धीरे जल अर्पित करें। अंत में ब्राह्मणों को भोजन और दान देकर तर्पण की विधि पूरी करें।