Pitru Paksha Puja Vidhi: पितृपक्ष में घर पर करना है पितरों का श्राद्ध? यहां जानिए तर्पण विधि, सामग्री लिस्ट से लेकर सबकुछ
Pitru Paksha Puja Vidhi In Hindi: सनातन धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व बताया गया है। पितृपक्ष का समय पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए उपयुक्त माना गया है। कहा जाता है कि इस दौरान पितरों की शांति के लिए किए गए उपाय अत्यंत लाभकारी होते हैं। यही कारण है कि हर कोई पितृपक्ष में अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण अवश्य करता है, ताकि उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त हो सके। धार्मिक मान्यता है कि जिन लोगों पर उनके पूर्वजों का आशीर्वाद होता है, तो उनके जीवन में कभी कोई बड़ी समस्या नहीं आती है। पंचांग के अनुसार, पितृपक्ष का प्रारंभ भाद्रपद पूर्णिमा से होता है और इसका समापन आश्विन अमावस्या के दिन होता है। वहीं, इस वर्ष श्राद्ध पक्ष 17 सितंबर से 21 सितंबर 2025 तक रहेगा। ज्योतिषियों की मानें तो इस अवधि में पितरों का श्राद्ध और तर्पण सही विधि और सामग्री के साथ करना अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि मान्यता है कि सही विधि के साथ पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण कैसे करें...
पितृपक्ष श्राद्ध की पूजा विधि
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, श्राद्ध करने का सबसे शुभ समय सूर्योदय से लेकर दोपहर 12:30 तक होता है।
- श्राद्ध विधि शुरू करने से पहले स्नान कर साफ कपड़े पहन लें।
- उसके बाद दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके बाएं पैर को मोड़ें और बाएं घुटनों को जमीन पर टिकाकर बैठ जाएं।
- अब एक तांबे के बर्तन में काले तिल, गाय का कच्चा दूध और थोड़ा गंगाजल डालें।
- फिर साफ जल अपने दोनों हाथों में लेकर, हाथ के अंगूठे से छूते हुए उसी बर्तन में डालें।
- इस क्रिया को 11 बार दोहराएं। इसे ही तर्पण कहा जाता है।
- ध्यान रखें कि, पितरों के निमित्त अग्नि में गाय के दूध से बनी खीर चढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इसलिए इसे जरूर अर्पित करें।
- पितरों के लिए बिना प्याज और लहसुन वाला भोजन तैयार करें।
- अब दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके कुश, जौ, तिल, चावल और जल लेकर संकल्प लें।
- इसके बाद एक या तीन ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
- श्राद्ध के भोजन के लिए श्रेष्ठ ब्राह्मण को घर बुलाएं। पहले ब्राह्मण के पैर धोएं और फिर उनसे आशीर्वाद लें।
- भोजन कराने से पहले गाय, कुत्ते, कौवा, देवता और चींटी के लिए भोजन निकालना न भूलें।
- भोजन कराने के बाद भूमि, वस्त्र, अनाज, तिल, स्वर्ण, घी, गुड़, चांदी या नमक का दान करें।
- चाहें तो इनमें से किसी दो-तीन चीजों का भी दान किया जा सकता है।
- श्राद्ध पूजा में हमेशा सफेद फूलों का ही उपयोग करें।
पितृ तर्पण की विधि
- एक परात में शुद्ध जल डालें। इसमें थोड़े काले तिल और गाय का दूध भी मिलाएं।
- उसके बाद दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके बैठें और परात को अपने सामने रखें। साथ ही एक खाली पात्र अपने पास रखें।
- दोनों हाथों की अंगूठे और तर्जनी उंगली में दूर्वा या कुश लेकर अंजलि बनाएं। यानी दोनों हाथों को मिलाकर उसमें जल भर लें।
- फिर अंजलि में भरा जल खाली पात्र में डालें। इस प्रक्रिया को कम से कम तीन बार दोहराएं।
तर्पण और श्राद्ध में इस्तेमाल होने वाली सामग्री
सिंदूर, कपूर, जनेऊ, हल्दी, रक्षा सूत्र, काला तिल, घी, शहद, रोली, सुपारी, जौ, गुड़, दीया, अगरबत्ती, तुलसी और पान के पत्ते, सफेद फूल, उड़द दाल, मूंग, ईख, कुशा, दही, गंगाजल, केला, धुर्वा, गाय का कच्चा दूध आदि।