भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर बन रहे मंगलकारी योग

Sankashti Chaturthi 2025: संकष्टी चतुर्थी पर ध्रुव योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी योग, मिलेगा अक्षय फल


सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की आराधना कर सुख-समृद्धि और सफलता की कामना करते हैं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं।भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2025 चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाएगी। इस वर्ष यह तिथि खास इसलिए भी है क्योंकि इस दिन कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन ध्रुव योग, भद्रावास योग और शिववास योग का संयोग बन रहा है, जो इसे और भी विशेष बनाता है। इन योगों में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। आइए जानते हैं भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त और इन विशेष योगों का महत्व।



भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त


हिंदू पंचांग के अनुसार, भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 17 मार्च 2025, रात 07:33 बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 18 मार्च 2025, रात 10:09 बजे
  • चंद्रोदय समय: 18 मार्च 2025, सुबह 09:18 बजे
  • शुभ मुहूर्त:
  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:53 से 05:41 बजे
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 02:30 से 03:18 बजे
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:28 से 06:52 बजे
  • अमृत काल: सुबह 07:34 से 09:23 बजे



भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2025 के विशेष योग


इस वर्ष भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इस व्रत को और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं। इन योगों में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को विशेष लाभ प्राप्त होता है।

  • ध्रुव योग: यह योग सुबह 03:45 बजे तक रहेगा। इस योग में गणेश पूजा करने से जीवन में स्थायित्व आता है और शुभ कार्यों में सफलता मिलती है।
  • भद्रावास योग: यह योग शाम 07:33 बजे तक रहेगा। इस योग में की गई पूजा से मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।
  • शिववास योग: यह योग भद्रावास योग के बाद प्रारंभ होगा। इस योग में भगवान गणेश की आराधना करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।



भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2025 की पूजा विधि और व्रत के लाभ


संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखकर विधिपूर्वक भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। इस दिन की जाने वाली पूजा विधि इस प्रकार है:


पूजा विधि:


  • प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • घर के मंदिर में गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापित करें और दीप प्रज्वलित करें।
  • भगवान गणेश को लाल फूल, दूर्वा, मोदक और तिल-गुड़ का भोग अर्पित करें।
  • "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप करें और संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा सुनें।
  • चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें।


व्रत के लाभ:


  • आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
  • घर में सुख-शांति बनी रहती है और परिवार की समृद्धि बढ़ती है।
  • मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं।
  • करियर और व्यवसाय में उन्नति होती है।

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गणेश चतुर्थी व्रत कथा

गणेश चतुर्थी को गणपति जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन संपूर्ण विधि-विधान के साथ घर में एक दिन, दो दिन, तीन दिन या फिर 9 दिनों के लिए गणेश जी की स्थापना की जाती है।

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