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सत्यनारायण व्रत की महत्वपूर्ण बातें

सत्यनारायण व्रत की महत्वपूर्ण बातें

सत्यनारायण की पूजा किन शुभ दिनों पर करनी चाहिए, जानें इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें 


सनातन धर्म में भगवान सत्यनारायण की पूजा का विशेष महत्व है, जो विशेष दिनों में और नियम से करने की सलाह दी जाती है। यह पूजा भगवान सत्यनारायण को समर्पित होती है। भगवान सत्यनारायण, भगवान विष्णु का ही स्वरूप हैं। सत्यनारायण की पूजा का असल अर्थ है 'सत्य की नारायण के रूप' में पूजा। 


भगवान सत्यनारायण की पूजा करने के लिए कुछ विशेष दिनों का चयन करना आवश्यक है। आपके मन में भी ये सवाल आता होगा कि किस शुभ दिन पर भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाए। इस लेख में हम आपके इसी शंकाओं को दूर करेंगे। आईये जानते हैं कि किन शुभ दिनों में यह पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है? साथ ही भगवान सत्यनारायण की पूजा जानेंगे पूजा से जुड़ी कुछ खास बातें। 


भगवान सत्यनारायण की पूजा करने के लिए कुछ विशेष दिनों का चयन करना आवश्यक है, जो इस प्रकार हैं-


  • पूर्णिमा का दिन
  • एकादशी का दिन
  • गुरुवार का दिन
  • भगवान विष्णु के अवतारों के जन्मदिन


1. एकादशी के दिन करें सत्यनारायण पूजा 


हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है, जो हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में आती है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है और इस दिन विशेष रूप से ईश्वर का पूजन किया जाता है। एकादशी का दिन हिंदू पूजा-पाठ और अनुष्ठानों को करने के लिए एक बहुत ही शुभ दिन माना जाता है, जिसमें सत्यनारायण की पूजा का आयोजन करना विशेष रूप से फलदायी हो सकता है।


एकादशी के दिन सत्यनारायण पूजा करने से:

- भगवान सत्यनारायण की कृपा प्राप्ति होती है

- मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है

- जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है

- नकारात्मक शक्तियों से बचाव होता है


2. पूर्णिमा का दिन है उत्तम 


पूर्णिमा तिथि हिंदू धर्म में बहुत ही शुभ मानी जाता है, जो हर महीने में एक बार आती है। ज्योतिष के अनुसार, यह दिन किसी भी पूजा-पाठ के लिए सबसे अनुकूल है, और सत्यनारायण कथा और पूजा का आयोजन करने के लिए भी यह एक विशेष दिन है। साल में 12 पूर्णिमा तिथियां होती हैं, और इनमें से किसी भी दिन सत्यनारायण पूजा करने से व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, 


पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण पूजा करने से:

- भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति होती है।

- जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। 

- आत्मशांति और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

- पापों की मुक्ति होती है।

- घर में सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है।


3. गुरुवार का दिन माना जाता है शुभ 


गुरुवार का दिन विष्णु पूजन के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है, जिसमें भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए विधि-विधान से पूजन करना आवश्यक है। इस दिन सत्यनारायण जी की पूजा करना भी विशेष फलदायी होता है, जिससे जीवन में खुशहाली और समृद्धि बनी रहती है।


गुरुवार के दिन सत्यनारायण पूजा करने से:

- भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति होती है।

- जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।

- आत्मशांति और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

- मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

- आध्यात्मिक ज्ञान और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।


घर पर ऐसे करे भगवान सत्यनारायण की पूजा 


  • यदि आप घर में सत्यनारायण जी की पूजा का आयोजन करती हैं तो आपको घर की अच्छी तरह से सफाई करनी चाहिए। 
  • अपने घर की साफ-सफाई करें और उसे फूलों और रंगोली से सजाएं।
  • अपने घर में पूजा स्थान को अच्छी तरह से साफ करने के बाद केले के पत्तों से सत्यनारायण जी का आसान तैयार करें।
  • पूजा की सभी आवश्यक सामग्री, जैसे पूजा की थाली, दीया, अगरबत्ती, फूल, फल और मिठाई आदि इकट्ठा करें।
  • पूजा में शामिल होने के लिए अपने परिवार और रिश्तेदारों को आमंत्रित करें और पंडित की उपस्थिति में इस पूजा का आयोजन करें।
  • सत्यनारायण जी की कथा सुनें और साथ में भगवान का ध्यान करें।
  • कथा के समापन के बाद सत्यनारायण जी की आरती करें और भोग लगाएं।
  • भोग में पंजीरी और पंचामृत चढ़ाएं और सभी को वितरित करने के बाद स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें।


भगवान सत्यनारायण की कथा 


यदि आप भगवान सत्यनारायण का व्रत रख रहे हैं, तो सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ या श्रवण जरूर करें। इस लिंक पर क्लिक करके आप सत्यनारायण व्रत कथा पढ़ सकते हैं। 


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श्री गणपति स्तोत्रम् (Shri Ganpati Stotram)

जेतुं यस्त्रिपुरं हरेणहरिणा व्याजाद्बलिं बध्नता
स्रष्टुं वारिभवोद्भवेनभुवनं शेषेण धर्तुं धराम्।

श्री गणपत्यथर्वशीर्षम् स्तोत्रम्

ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयामदेवाः भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवाꣳ सस्तनूभिःव्यशेम देवहितं यदायुः॥

श्री शिवरामाष्टकस्तोत्रम्

शिवहरे शिवराम सखे प्रभो,त्रिविधताप-निवारण हे विभो।
अज जनेश्वर यादव पाहि मां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

शिव ताण्डव स्तोत्रम् (Shiv Tandav Stotram)

जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्।

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