पंचांग के अनुसार, भाद्रपद के महीना में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर वामन जयंती मनाई जाती है, जो भगवान विष्णु के पांचवें अवतार, वामन देव का जन्मोत्सव है। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार, असुरराज बलि ने जब तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था तभी एक छोटे ब्राह्मण बालक का आगमन हुआ। ऐसा कहा जाता है, देवताओं को अत्याचार से मुक्त करने के लिए भगवान विष्णु ने वामन रूप धारण किया। इसलिए यह एकादशी विशेष स्थान रखता है।
पंचांग के अनुसार, 4 सितंबर 2025, गुरुवार के दिन वामन जयंती मनाया जाएगा। द्वादशी तिथि का आरंभ 4 सितंबर, सुबह 4:21 बजे होगा और समाप्ति 5 सितंबर, सुबह 4:08 बजे, लेकिन सूर्योदय के बाद पूजा पूर्ण मानी जाती है। पूजन का श्रेष्ठ समय प्रातःकाल से मध्याह्न तक माना गया है।
गाँवों और मंदिरों में इस दिन विशेष आयोजन होते हैं। कथा-वाचन, भजन-कीर्तन, साथ ही बच्चों को ब्राह्मण वेश में सजाकर वामन देव की झाँकी निकाली जाती है। झाँकी से लोगों को याद दिलाया जाता है की अहंकार चाहे कितना भी बड़ा हो, भगवान की पूजा में ही असली सुख है।
वामन जयंती केवल एक पर्व नहीं। ये एक स्मृति है कि धर्म की रक्षा, संतुलन और भक्ति की स्थापना के लिए भगवान हर युग में अवतार लेते हैं, चाहे रूप छोटा हो या बड़ा।