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10 July 2025 Panchang (10 जुलाई 2025 का पंचांग)

10 July 2025 Panchang (10 जुलाई 2025 का पंचांग)

Aaj Ka Panchang: आज 10 जुलाई 2025 का शुभ मुहूर्त, राहुकाल का समय, आज की तिथि और ग्रह

Aaj Ka Panchang 10 July 2025: आज 10 जुलाई 2025 को आषाढ़ माह का 30वां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष तिथि पूर्णिमा है। आज गुरूवार का दिन है। सूर्य देव मिथुन राशि में रहेंगे। वहीं चंद्रमा धनु राशि में रहेंगे। आपको बता दें, आज गुरूवार के दिन अभिजीत मुहूर्त 11:59 ए एम से 12:54 पी एम बजे तक रहेगा। इस दिन राहुकाल 02:10 पी एम से 03:54 पी एम तक रहेगा। आज वार के हिसाब से आप गुरूवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान विष्णु को समर्पित होता है। साथ ही आज कई त्योहार भी है, जिनमें कोकिला व्रत, गुरु पूर्णिमा, व्यास पूजा, गौरी व्रत शामिल है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है। 

आज का पंचांग 10 जुलाई 2025

  • तिथि - पूर्णिमा
  • नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा
  • दिन/वार - गुरूवार
  • योग - इन्द्र और वैधृति
  • करण - विष्टि और बव 

आषाढ़ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि प्रारंभ - 01:36 ए एम, जुलाई 10

आषाढ़ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि समाप्त - 02:06 ए एम, जुलाई 11

सूर्य-चंद्र गोचर

  • सूर्य - मिथुन
  • चंद्र - धनु 

सूर्य और चंद्रमा का मुहूर्त

  • सूर्योदय - 05:31 ए एम
  • सूर्यास्त - 07:22 पी एम
  • चन्द्रोदय - 07:20 पी एम
  • चन्द्रास्त - नहीं है।

आज का शुभ मुहूर्त और योग 10 जुलाई 2025

  • ब्रह्म मुहूर्त - 04:10 ए एम से 04:50 ए एम
  • अभिजीत मुहूर्त - 11:59 ए एम से 12:54 पी एम
  • विजय मुहूर्त - 02:45 पी एम से 03:40 पी एम
  • गोधूलि मुहूर्त - 07:21 पी एम से 07:41 पी एम 
  • संध्या मुहूर्त - 07:22 पी एम से 08:23 पी एम

आज का अशुभ मुहूर्त 10 जुलाई 2025

  • राहु काल - 02:10 पी एम से 03:54 पी एम
  • गुलिक काल - 08:59 ए एम से 10:43 ए एम
  • यमगंड - 05:31 ए एम से 07:15 ए एम
  • दिशाशूल - दक्षिण, इस दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए।
  • वर्ज्य - 02:52 पी एम से 04:33 पी एम
  • आडल योग - पूरे दिन
  • भद्रा - 05:31 ए एम से 01:55 पी एम

10 जुलाई 2025 पर्व/त्योहार/व्रत

  • गुरूवार का व्रत - आज आप गुरूवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। 
  • कोकिला व्रत- कोकिला व्रत आषाढ़ चन्द्रमास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो देवी सती और भगवान शिव को समर्पित है। इस व्रत की मान्यता विशेष रूप से उन वर्षों में है जिनमें आषाढ़ का अधिक मास होता है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में यह व्रत प्रति वर्ष आषाढ़ पूर्णिमा को मनाया जाता है। कोकिला व्रत के दौरान, स्त्रियां प्रातः स्नान करके मिट्टी से कोयल की मूर्ति बनाती हैं और उसकी पूजा-अर्चना करती हैं। इस व्रत का पालन करने वाली स्त्रियां अखण्ड सौभाग्यवती होती हैं और उन्हें अपने पति से पूर्व ही परलोक गमन होता है। कोकिला व्रत से पत्नी से प्रेम करने वाले और उनका ध्यान रखने वाले पति की प्राप्ति होती है। यह व्रत मुख्य रूप से स्त्रियों द्वारा किया जाता है। साथ ही कुछ क्षेत्रों में यह व्रत आषाढ़ पूर्णिमा से श्रावण पूर्णिमा तक एक माह की अवधि के लिए किया जाता है।
  • गुरू पूर्णिमा- आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, जो गुरुओं की पूजा-अर्चना के लिए निर्धारित है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं का सम्मान करते हैं और आध्यात्मिक ज्ञान एवं शिक्षा के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है, जो महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की थी। इसके अलावा, बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा भी गुरु पूर्णिमा को गौतम बुद्ध के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने इसी दिन सारनाथ में अपना प्रथम उपदेश दिया था। इस प्रकार गुरु पूर्णिमा गुरुओं के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
  • व्यास पूजा- आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को व्यास पूजा दिवस या व्यास पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, जो गुरु पूजन के लिए निर्धारित है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना करते हैं जो आध्यात्मिक ज्ञान और शिक्षा के माध्यम से उनका मार्गदर्शन करते हैं। व्यास पूर्णिमा महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास की जयन्ती के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की और इसमें एक महत्वपूर्ण पात्र भी थे। इस दिन गुरुओं के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
  • गौरी व्रत समाप्त - गौरी व्रत देवी पार्वती को समर्पित एक महत्वपूर्ण उपवास है, जो मुख्यतः गुजरात में पालन किया जाता है। अविवाहित कन्याएं सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत का पालन करती हैं। गौरी व्रत आषाढ़ माह में पांच दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत शुक्ल पक्ष की एकादशी से होती है और पूर्णिमा के दिन यानी गुरु पूर्णिमा को इसका समापन होता है। इस व्रत को मोरकट व्रत के नाम से भी जाना जाता है और इसका पालन करने से देवी पार्वती की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  • आषाढ़ पूर्णिमा व्रत- हिन्दु धर्म में पूर्णिमा व्रत को अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है, जो प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। बत्तीसी पूर्णिमा व्रत, जो द्वात्रिंशी पूर्णिमा व्रत भी कहलाता है, मार्गशीर्ष से भाद्रपद और पौष माह की पूर्णिमा तक किया जाता है। इस व्रत से समस्त प्रकार के सुख-सौभाग्य और पुत्र-पौत्रादि की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु के पूजन के लिए भी महत्वपूर्ण है और इस दिन चन्द्रदेव अपने सम्पूर्ण रूप में प्रकाशित होते हैं, जिससे चन्द्रोपासना का विशेष लाभ होता है। धार्मिक ग्रन्थों में वर्णित इस व्रत को पापों के क्षय, पुण्य वृद्धि और मानसिक शुद्धि के लिए अत्यन्त फलदायी बताया गया है।

10 जुलाई 2025/आज के उपाय 

  • गुरूवार के उपाय - गुरुवार के दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। इस दिन पीले वस्त्र पहनना, पीले भोजन करना और केले के पेड़ की पूजा करना शुभ माना जाता है। गुरुवार के उपायों में गुरु ग्रह को मजबूत करने के लिए पीले रंग की वस्तुओं का दान करना भी शामिल है, जैसे कि केले, हल्दी, चने की दाल और पीले फल। इन उपायों को करने से गुरु ग्रह की स्थिति में सुधार होता है और जीवन में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।
  • गुरु पूर्णिमा के उपाय- गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुओं का सम्मान और पूजा की जाती है। इस दिन गुरुओं को पीले वस्त्र, फल और अन्य सामग्री अर्पित की जाती है। गुरु पूर्णिमा के उपायों में गुरु मंत्र का जाप, गुरु की पूजा और सेवा करना शामिल है। इस दिन गुरुओं को दक्षिणा देने और उनके आशीर्वाद लेने से जीवन में ज्ञान, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। गुरु पूर्णिमा के दिन आध्यात्मिक गुरु या मार्गदर्शक की पूजा करने से आत्मज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • आषाढ़ पूर्णिमा के उपाय- आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, जिसमें गुरुओं का सम्मान और पूजा की जाती है। इस दिन गुरुओं को पीले वस्त्र, फल और अन्य सामग्री अर्पित की जाती है। आषाढ़ पूर्णिमा के उपायों में गुरु मंत्र का जाप, गुरु की पूजा और सेवा करना शामिल है। इस दिन दान-पुण्य करने, विशेष रूप से गुरुओं को दक्षिणा देने साथ ही उनके आशीर्वाद लेने से जीवन में ज्ञान, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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चैत्र महीना व्रत-त्योहार लिस्ट

चैत्र माह हिंदू पंचांग का पहला महीना होता है। इसे हिंदू नववर्ष की शुरुआत के रूप में देखा जाता है। इसके अलावा यह वसंत ऋतु के खत्म होने का प्रतीक भी है। इस महीने में कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं, जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखते हैं। यह त्योहार हमें धर्म, संस्कृति और परंपराओं से जोड़ते हैं।

चैत्र माह की पौराणिक कथा

नवरात्रि का अर्थ नौ रातें होता है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा आराधना की जाती है। उनके नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्र का खास महत्व है।

चैत्र नवरात्रि पूजा नियम

चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म के पावन त्योहारों में से एक है। यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है - चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनके नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा के दौरान कुछ नियमों का भी पालन करना होता है।

चैत्र मास में क्या करें क्या न करें

ग्रेगोरियन कैलेंडर की तरह एक हिंदू कैलेंडर भी होता है। इस कैलेंडर में भी 12 महीने होते हैं, जिसकी शुरुआत चैत्र के साथ होती है। यह महीना धार्मिक और अध्यात्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस माह में चैत्र नवरात्रि, राम नवमी और हनुमान जयंती जैसे प्रमुख त्योहार आते हैं।

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