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बुद्ध देव की पूजा कैसे करें?

बुद्ध देव की पूजा कैसे करें?

बुधवार के दिन करें बुधदेव की पूजा, व्यापार में समृद्धि के लिए होगी लाभकारी 


हिंदू धर्म में बुधदेव का महत्वपूर्ण स्थान है। वे ज्योतिषशास्त्र में एक ग्रह के रूप में जाने जाते हैं और बुद्धि, संवाद, वाणी, गणना, व्यापार, शिक्षा और तर्क का प्रतीक माने जाते हैं। बुध को तंत्र-मंत्र, व्यवसाय, ज्ञान, मनोबल, और वाणी के देवता के रूप में पूजा जाता है। जब बुध शुभ स्थिति में होता है तो व्यक्ति में बुद्धिमत्ता, तर्कशक्ति, और समझ का विकास होता है, जिससे वह सामाजिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से सशक्त होता है। लेकिन जब बुध अशुभ स्थिति में होता है तो यह मानसिक भ्रम, वाणी की समस्याएँ और तर्क में कमी का कारण बन सकता है। हिंदू पुराणों के अनुसार, बुध देवता का जन्म भगवान चंद्रमा और तारा देवी से हुआ था। चंद्रमा ने तारा को अपनी पत्नी के रूप में लिया था, लेकिन ब्रह्मा के आदेश पर तारा ने चंद्रमा को छोड़कर शुक्राचार्य से विवाह कर लिया। तारा के गर्भ में जो बच्चा था, वह बुध के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस कारण बुध को चंद्रमा के पुत्र के रूप में भी पूजा जाता है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में बुधदेव की पूजा किस विधि से करनी चाहिए और पूजा सामग्री क्या है। इसके बारे में भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 


बुधदेव की पूजा के लिए सामग्री यहां पढ़ें


बुधदेव की पूजा के लिए सामग्री के बारे में विस्तार से जान लें। 


  • धूप
  • दीप
  • गंध
  • अक्षत
  • लाल फूल
  • दूर्वा
  • पान
  • सुपारी
  • फल
  • मिठाई
  • पंचामृत
  • दहीो
  • शहद
  • गंगाजल
  • श्वेत वस्त्र
  • बुध यंत्र
  • बुध मंत्र
  • हवन सामग्री


बुधदेव की पूजा किस विधि से करें? 


  • बुध देव की पूजा विधि विशेष रूप से बुधवार के दिन की जाती है, क्योंकि यह दिन बुध ग्रह से संबंधित होता है। बुध देव को बुद्धिमानी, व्यापार, शिक्षा और संचार का देवता माना जाता है। उनकी पूजा से जीवन में समृद्धि, बुद्धि और व्यापार में सफलता मिलती है।
  • सबसे पहले, पूजा से पहले स्नान करके स्वच्छता का ध्यान रखें।
  • सफेद या हरे रंग के वस्त्र पहनें, क्योंकि ये रंग बुध देव से जुड़े होते हैं।
  • सबसे पहले, भगवान श्री गणेश की पूजा करें ताकि सारी पूजा विधि में कोई विघ्न न आए।
  • फिर बुध देव की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें और उन्हें स्नान कराएं (यदि मूर्ति है तो ताजे पानी से या दूध से स्नान कराएं)।
  • फिर उनके सामने दीपक लगाएं और अगरबत्ती का धुआं करें।
  • इसके बाद, हरे रंग के फूलों से उनका पूजन करें। दूर्वा घास भी अर्पित करें।
  • अब बुध देव का व्रत या मंत्र जप करें। "ॐ बुद्धाय नमः" या "ॐ ग्रहपतये नमः" का उच्चारण करें।
  • शहद, मिठाई या कुछ मीठा अर्पित करें, जिससे बुध देव प्रसन्न हों और आपके जीवन में सुख-शांति और सफलता आए।
  • अंत में, हाथ जोड़कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
  • पूजा के समय पूरी श्रद्धा और ध्यान के साथ रहें।
  • यदि बुध ग्रह की स्थिति आपके जीवन में ठीक नहीं है, तो यह पूजा नियमित रूप से करें।
  • बुधवार को उपवासी रहकर, कुछ खास व्रत रखना भी शुभ माना जाता है।


बुधदेव की पूजा से मिलते हैं ये लाभ 


 बुधदेव की पूजा से व्यक्ति की बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है। उनकी स्मरण शक्ति तेज होती है और वे शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं।  बुधदेव की पूजा से व्यक्ति की वाणी में सुधार होता है। वे अपनी बात को स्पष्ट और प्रभावी ढंग से कहने में सक्षम होते हैं। बुधदेव को व्यापार का देवता माना जाता है। उनकी पूजा से व्यापार में सफलता प्राप्त होती है और व्यक्ति को धन लाभ होता है। बुधदेव की पूजा से व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है। वे तनाव और चिंता से मुक्त होते हैं। 


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छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है

दिवाली से ठीक एक दिन पहले यानी 30 अक्टूबर को छोटी दिवाली मनाई जाएगी। जिसे नरक चतुर्दशी, यम दिवाली, काली चौदस या रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है।

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छोटी दिवाली के दिन मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण, मां काली और यमराज की पूजा करने का विधान है। इस दिन संध्या के समय यमराज को दीप अर्पित किया जाता है।

छोटी दिवाली 2024 कब है

दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। हालांकि दिवाली की रोशनी से एक दिन पहले हमें अच्छाई और सच्चाई की ओर ले जाने वाला त्योहार आता है, जिसमें हम छोटी दिवाली के रूप में मनाते हैं।

छोटी दिवाली पर कितने दीये जलाने चाहिए

छोटी दिवाली के दिन मुख्य रूप से 5 दीये जलाने का प्रचलन है। इनमें से एक दीया घर के ऊंचे स्थान पर, दूसरा रसोई में, तीसरा पीने का पानी रखने की जगह पर, चौथा पीपल के पेड़ के तने और पांचवा घर के मुख्य द्वार पर जलाना सबसे उचित माना गया है।

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