प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण और काल भैरव की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। तंत्र सीखने वाले साधकों के लिए कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि बेहद खास होती है। इस शुभ अवसर पर साधक विशेष फल पाने के लिए या किसी काम में सफलता पाने के लिए काल भैरव देव की कठिन भक्ति करते हैं। कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर काल भैरव देव साधक की हर मनोकामना पूरी करते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि फाल्गुन माह में कालाष्टमी कब है और पूजा किस विधि से करनी चाहिए।
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 20 फरवरी दिन गुरुवार को सुबह 9 बजकर 58 मिनट पर हो जाएगा। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन 21 फरवरी दिन शुक्रवार को सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में 20 फरवरी को कालाष्टमी का पूजन और व्रत करना शुभ रहेगा।
शिव है शक्ति, शिव है भक्ति, शिव है मुक्ति धाम।
शिव है ब्रह्मा, शिव है विष्णु, शिव है मेरा राम॥
ऐसो चटक मटक सो ठाकुर
तीनों लोकन हूँ में नाय
ऐसो रास रच्यो वृन्दावन,
है रही पायल की झंकार ॥
आजा माँ तेनु अखियां उडीकदीयां।
अखियां उडीकदीयां, दिल वाजा मारदा॥