Logo

मां ललिता की पूजा विधि

मां ललिता की पूजा विधि

आर्थिक, समृद्धि और सौंदर्य वाली देवी हैं मां ललिता, इस विधि से करें उनकी पूजा



मां ललिता, जिन्हें त्रिपुर सुंदरी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं। वे शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं और ब्रह्मांड की सर्वोच्च शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं। मां ललिता को दस महाविद्याओं में भी पूजा जाता है, जो कि देवी के दस रूपों में से एक हैं। मां ललिता की पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है। उनकी पूजा से भक्तों को सुख, समृद्धि, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मां ललिता की पूजा में श्री सूक्त का पाठ और ललिता सहस्त्रनाम का जाप विशेष महत्व रखता है। 

पौराणिक कथा के अनुसार ,त्रिपुरासुर नामक एक राक्षस था, जिसने बहुत कठिन तपस्या करके भगवान शिव से वरदान प्राप्त किया था। उसने यह वरदान लिया कि वह तीन अदृश्य और अत्यधिक शक्तिशाली नगरों त्रिपुर का स्वामी बनेगा, और उसके पास अजेय शक्ति होगी। वह अपनी शक्तियों से देवताओं को परेशान करने लगा और उन्हें परेशान करने के बाद स्वर्ग में भी आतंक मचाने लगा। देवताओं ने कई बार त्रिपुरासुर से युद्ध किया, लेकिन वे कभी उसे हराने में सफल नहीं हो सके। तब भगवान शिव ने अपनी पत्नी माता पार्वती से सलाह ली, और उन्होंने शक्ति की देवी मां ललिता को त्रिपुरासुर का वध करने का कार्य सौंपा।

मां ललिता ने देवताओं से मिलकर त्रिपुरासुर के तीन नगरों को नष्ट किया, जिससे त्रिपुरासुर की शक्ति समाप्त हो गई। इस प्रकार देवी ललिता ने शांति और धर्म की स्थापना की। त्रिपुरासुर का वध उनके अत्यधिक सौंदर्य और शक्ति के कारण हुआ, और इसके बाद देवी ललिता की पूजा की परंपरा शुरू हुई। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में मां ललिता की पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

मां ललिता की पूजा के लिए सामग्री


  • लाल फूल
  • लाल वस्त्र
  • लाल चन्दन
  • कुमकुम
  • अक्षत
  • धूप
  • दीप
  • नैवेद्य
  • फल
  • पान
  • सुपारी
  • लौंग
  • इलायची
  • लाल चुनरी
  • दर्पण
  • कंघी
  • हल्दी
  • अबीर
  • गुलाल
  • इत्र
  • दूध
  • जल
  • मेवा
  • मौली
  • आसन

मां ललिता की पूजा विधि


  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को साफ करें और एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
  • मां ललिता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • धूप, दीप, अक्षत, कुमकुम, फल, फूल और मिठाई तैयार रखें।
  • मां ललिता का पूजा करने से पहले भगवान गणेश का आह्वान करें। 
  • मां ललिता को लाल फूल अर्पित करें।
  • उन्हें कुमकुम से तिलक लगाएं।
  • धूप और दीप जलाएं।
  • मां ललिता के मंत्रों का जाप करें।
  • पूजा करने के दौरान ललिता सहस्रनाम का पाठ करें।
  • मां ललिता की कथा सुनें।
  • मां ललिता को मिठाई का भोग लगाएं।
  • आखिर में मां ललिता की पूजा करने के बाद आरती जरूर करें।

मां ललिता की पूजा का महत्व


मां ललिता को आदि पराशक्ति माना जाता है और उनकी पूजा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। मां ललिता को त्रिपुर सुंदरी, षोडशी, ललिता, राजराजेश्वरी और कामाक्षी सहित कई नामों से जाना जाता है। वे दस महाविद्याओं में से एक हैं, जो शक्ति की प्रतीक हैं। मां ललिता की पूजा से भक्तों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है। पूजा करने से व्यक्ति के आत्मविश्वास और मनोबल में वृद्धि होती है। मां ललिता की पूजा के लिए सबसे उत्तम समय सुबह का ब्रह्म मुहूर्त होता है। इसके अलावा, प्रदोष काल और अभिजीत मुहूर्त भी पूजा के लिए शुभ माने जाते हैं।

........................................................................................................
नवरात्रि सप्तमी 2024: शारदीय नवरात्रि की सप्तमी कब है?

माता के सप्तम स्वरूप के रूप में मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इनकी पूजा से शक्ति की प्राप्ति होती है। माता के कालरात्रि पूजा की नवरात्रि की सप्तमी तिथि को की जाती है, इस दिन घरों में अपने अपने कुल देवी-देवता की पूजन होती है और साथ ही ये दिन सप्त मातृकाओं की पूजा का भी है।

दशहरे के दिन छोटे बच्चों को क्यों है उपहार देने की परंपरा, पढ़िए राजा बलि की कथा

भारतीय परंपरा में विजयादशमी भगवान श्रीराम की लंका अधिपति रावण के ऊपर विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाने वाला उत्सव है।

शारदीय नवरात्रि 2024: माता की प्रतिमा, ज्योत और ज्वारों का विसर्जन विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त

नवरात्रि मतलब देवी आराधना के नौ पवित्र दिन। इन नौ दिनों तक भक्त मैया की आराधना करते हैं और आखिरी में मैय्या रानी की प्रतिमा का विसर्जन करते हैं।

भारत के तीर्थस्थलों में दिवाली की तारीख

दिवाली भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो अच्छाई की जीत और बुराई के नाश का प्रतीक है। हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली का पावन त्योहार मनाया जाता है।

यह भी जाने
HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang