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मंगल दोष निवारण की पूजा विधि

मंगल दोष निवारण की पूजा विधि

Mangal Dosh Nivaran Puja Vidhi: मंगल दोष के निवारण के लिए की जाती है भात पूजा, यह पूजा उज्जैन में करने से मिलता है विशेष लाभ


मंगल दोष को लेकर आम धारणा यही है कि इससे विवाह में बाधा आती है, लेकिन इसके साथ ही ये दोष जीवन के कई अन्य पहलुओं पर भी प्रभाव डालता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब मंगल ग्रह जन्म कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित होता है, तो उसे मंगल दोष कहा जाता है और व्यक्ति को मांगलिक माना जाता है। इस दोष के कारण वैवाहिक जीवन में अशांति, देरी, विवाद, करियर में समस्याएं और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां देखी जाती हैं।

मंगल दोष से मुक्ति के लिए कई उपाय बताए गए हैं, जिनमें सबसे प्रमुख और प्रचलित उपाय है 'भात पूजन'। उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर में विशेष रूप से यह पूजन विधि संपन्न कराई जाती है। मान्यता है कि यही स्थान मंगल ग्रह की उत्पत्ति का स्थान है।


भात पूजन विधि

भात पूजन में चावल का विशेष महत्व होता है। यह पूजन मांगलिक दोष को शांत करने के लिए किया जाता है। इसे विवाह से पूर्व कराना विशेष रूप से लाभकारी माना गया है। आइए जानते हैं इसकी पूजन विधि:

  • सबसे पहले पूजन स्थल को शुद्ध करें और लकड़ी के पाटे पर स्वास्तिक चिन्ह बनाएं।
  • पाटे पर नया सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर शिवलिंग रूपी मंगलदेव की स्थापना करें।
  • अब भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा करें। फूल, चावल, कुमकुम, अबीर-गुलाल से पूजन करें।
  • इसके बाद नवग्रह पूजन करें। हर ग्रह के लिए विशेष मंत्रों का उच्चारण करते हुए उन्हें पुष्प और अक्षत अर्पित करें।
  • अब कलश की स्थापना कर उसमें गंगाजल, सुपारी, सिक्का और आम के पत्ते डालें।
  • इसके बाद शिवलिंग रूपी मंगलदेव का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से अभिषेक करें।
  • पंचामृत अभिषेक के बाद चावल यानी भात चढ़ाएं। यह भात ठंडा और साफ-सुथरा होना चाहिए। भात को भगवान पर अर्पित करते हुए मंगल जाप करें।
  • जाप के बाद शिवजी और मंगलदेव की आरती उतारें और प्रसाद वितरण करें।

इस पूजा के साथ मंगल दोष से मुक्ति के लिए अन्य उपाय भी किए जाते हैं जैसे मंगल यंत्र की स्थापना, पीपल विवाह, कुंभ विवाह, सालिग्राम विवाह आदि। लेकिन भात पूजन को मंगल की उग्रता शांत करने के सबसे प्रभावी उपायों में माना गया है।


भात पूजन की कथा

मान्यता के अनुसार एक बार उज्जैन में अंधकासुर नामक राक्षस ने तबाही मचा दी थी। उसे वरदान प्राप्त था कि उसके रक्त से अनेक राक्षस पैदा होंगे। शिवजी ने उसका वध करने के लिए युद्ध किया और उनके पसीने से मंगल ग्रह की उत्पत्ति हुई। चूंकि मंगल का स्वभाव अत्यंत उग्र था, इसलिए ऋषि-मुनियों ने उन्हें शांत करने के लिए दही और भात का लेपन किया। इसी परंपरा के अनुसार आज भी मंगल दोष से ग्रसित जातकों को भात पूजन की सलाह दी जाती है।


भात पूजन के लाभ

  • वैवाहिक जीवन में सुख और शांति आती है
  • विवाह में हो रही देरी दूर होती है
  • मंगल दोष के दुष्प्रभाव कम होते हैं
  • संतान सुख की प्राप्ति होती है
  • रोगों से राहत मिलती है और मानसिक शांति मिलती है

यदि आपकी कुंडली में मंगल दोष है, तो उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर में भात पूजन जरूर करें। इससे जीवन की कई समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।


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वो है जग से बेमिसाल सखी

कोई कमी नही है, दर मैय्या के जाके देख।
देगी तुझे दर्शन मैय्या, तू सर को झुका के देख।

द्वारे चलिए मैय्या के द्वारे चलिए

द्वारे चलिए, मैय्या के द्वारे चलिए
द्वारे चलिए, मैय्या के द्वारे चलिए

आते हैं हर साल नवराते माता के

हो, चैत महीना और अश्विन में, ओ..
चैत महीना और अश्विन में, आते मां के नवराते।
मुंह मांगा वर उनको मिलता, जो दर पे चलके आते।

अम्बा माई उतरी हैं बाग में हो मां (Amba Mai Utari Hai Baag Me)

अम्बा माई उतरी हैं बाग में हो मां।
(मैय्या, अम्बा माई उतरी हैं बाग में हो मां।)

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