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श्रीकृष्ण पूजन हिन्दू धर्म की एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जिसमें भक्ति और पवित्रता का संगम होता है। इसे विशेषकर जन्माष्टमी या किसी शुभ अवसर पर किया जाता है। इस पूजा में भगवान श्रीकृष्ण को दीप, धूप, पुष्प, अष्टगंध, माखन-मिश्री और तुलसी पत्र अर्पित किए जाते हैं। पूजा की शुरुआत पवित्र जल से पवित्रकरण और शुद्ध वस्त्र धारण कर होती है। इसके पश्चात् मंत्रोच्चार के साथ श्रीकृष्ण का आह्वान, पंचामृत स्नान, वस्त्र एवं आभूषण समर्पण और आरती की जाती है। विधि-विधान से पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख, शांति व आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते समय सबसे पहले इनकी प्रतिमा या फोटो के समक्ष हाथ में जल लेकर सभी वस्तुओं औऱ स्वयं को आसन सहित शुद्ध करें।
शुद्धि मंत्र:- ओम अपवित्रः पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोअपि वा। यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।। जल से स्वयं को और पूजन सामग्री पर को पवित्र करें। इसके बाद पूजा आरंभ करें।
श्रीकृष्ण ध्यान मंत्र:- वसुदेव सुतं देव कंस चाणूर मर्दनम्। देवकी परमानंदं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।। हे वसुदेव के पुत्र कंस और चाणूर का अंत करने वाले, देवकी को आनंदित करने वाले और जगत में पूजनीय श्रीकृष्ण आपको नमस्कार है। इस मंत्र से भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करके फूल भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में अर्पित करें।
श्री कृष्ण पूजन संकल्प मंत्र:-‘यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः कार्य सिद्धयर्थं कलशाधिष्ठित देवता सहित, श्रीजन्माष्टमी पूजनं महं करिष्ये। हाथ में पान का पत्ता कम से कम एक रुपये का सिक्का, जल, अक्षत, फूल, फल लेकर भी यह संकल्प मंत्र बोलें, फिर हाथ में रखी हुई सामग्री को भगवान श्री कृष्ण के चरणों में अर्पित कर दें।
आह्वाहन मंत्र:- बिना आह्वान किए भगवान की पूजा पूर्ण नहीं हो पाती है। आह्वान का मतलब होता है भगवान को बुलाना। इसलिए भगवान का इस मंत्र से आह्वाहन करें- “अनादिमाद्यं पुरुषोत्तमोत्तमं श्रीकृष्णचन्द्रं निजभक्तवत्सलम्। स्वयं त्वसंख्याण्डपतिं परात्परं राधापतिं त्वां शरणं व्रजाम्यहम्।।” अब तिल जौ को भगवान की प्रतिमा पर छोड़ें।
श्रीकृष्ण को आसन देने का मंत्र:- अर्घा में जल लेकर बोलें- रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्वासौख्यकरं शुभम्। आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वर।। जल छोड़ें।
भगवान कृष्ण को को अर्घ्य देने का मंत्र:- अर्घा में जल लेकर बोलें अर्घ्यं गृहाण देवेश गन्धपुष्पाक्षतैः सह। करुणां करु मे देव! गृहाणार्घ्यं नमोस्तु ते।। जल छोड़ें।
भगवान श्रीकृष्ण को आचमन करवाने का मंत्र:- अर्घा में जल और गंध मिलाकर बोलें - सर्वतीर्थसमायुक्तं सुगन्धं निर्मलं जलम्। आचम्यतां मया दत्तं गृहत्वा परमेश्वर।। जल छोड़ें।
भगवान को स्नान कराने का मंत्र:- अर्घा में जल लेकर बोलें - गंगा, सरस्वती, रेवा, पयोष्णी, नर्मदाजलैः। स्नापितोअसि मया देव तथा शांति कुरुष्व मे । अब जल छोड़ दें।
भगवान श्रीकृष्ण का पंचामृत स्नान:- अर्घा में गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद मिलाकर भगवान श्रीकृष्ण को यह मंत्र बोलते हुए पंचामृत स्नान कराएं- पंचामृतं मयाआनीतं पयोदधि घृतं मधु। शर्करा च समायुक्तं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्।। भगवान को स्नान कराएं। अर्घा में जल लेकर भगवान को फिर से एक बार फिर से भगवान श्रीकृष्ण को शुद्धि स्नान कराएं।
भगवान को वस्त्र अर्पित करने का मंत्र:- हाथ में पीले वस्त्र लेकर यह मंत्र बोलें - शीतवातोष्णसन्त्राणं लज्जाया रक्षणं परम्। देहालअंगकरणं वस्त्रमतः शान्तिं प्रयच्छ मे। भगवान को पीले वस्त्र अर्पित करें।
यज्ञोपवीत अर्पित करने का मंत्र:- यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्। आयुष्मयग्यं प्रतिमुन्ज शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।। इस मंत्र को बोलकर भगवान श्रीकृष्ण को यज्ञोपवीत अर्पित करें।
भगवान श्रीकृष्ण को चंदन लगाने का मंत्र:- फूल में चंदन लगार मंत्र बोलें - श्रीखंड चंदनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम्। विलेपनं सुरश्रेष्ठ चंदनं प्रतिगृह्यताम्।। भगवान श्रीकृष्ण को चंदन लगाएं। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण को मोर मुकुट पहनाएं और पंख भी अर्पित करे। बांसुरी भी श्रीकृष्ण को भेंट करें।
श्रीकृष्ण को फूल अर्पित करने का मंत्र:- माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो। मयाआहृतानि पुष्पाणि पूजार्थं प्रतिगृह्यताम्।। भगवान को फूल अर्पित करने के बाद माला पहनाएं।
भगवान को दूर्वा चढाएं:- हाथ में दूर्वा लेकर मंत्र बोलें दूर्वांकुरान् सुहरितानमृतान्मंगलप्रदान्। आनीतांस्तव पूजार्थं गृहाण परमेश्वर।। दूर्वा भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करें।
भगवान को नैवेद्य भेंट करेंः- इदं नाना विधि नैवेद्यानि ओम नमो भगवते वासुदेवं, देवकीसुतं समर्पयामि। इस मंत्र से भगवान श्रीकृष्ण को नैवेद्य अर्पित करें।
भगवान को आचमन कराएं:- अर्घा में जल लेकर मंत्र बोलें- इदं आचमनम् ओम नमो भगवते वासुदेवं, देवकीसुतं समर्पयामि। जल को भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति के सामे छोड़ें। इसके बाद भगवान को पान सुपारी अर्पित करके प्रदक्षिणा करें और यह मंत्र बोलें- यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च। तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिण पदे-पदे। इस तरह भगवान श्रीकृष्ण की पूजा पूर्ण करके प्रसाद का वितरण करें।
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