सनातन धर्म में वैशाख मास का अत्यधिक महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि इस महीने में किये गए स्नान, दान, व्रत, उपवास और पूजा का पुण्य बहुत ही अधिक होता है। इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि इस महीने किन देवी-देवताओं की पूजा होती है और हमें उनकी पूजा-अर्चना कैसे करनी चाहिए।
पौराणिक मान्यता है कि वैशाख महीने में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना होती है। अगर कोई श्रद्धालु भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना विधि-विधान से करता है तो उन्हें कई बड़े यज्ञों के समान पुण्य मिलता है। साथ ही उनकी सभी परेशानियां समाप्त हो जाती है।
वहीं, वैशाख महीने में भगवान विष्णु के इतर देवाधिदेव महादेव, माता लक्ष्मी और हनुमान जी की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। इसके साथ ही पीपल और तुलसी की पूजा का भी विशेष महत्व है क्योंकि पीपल में भगवान विष्णु का वास माना जाता है और तुलसी को लक्ष्मी माता का रूप माना जाता है।
अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा पाना चाहते हैं कि सूर्योदय से पहले उठें और स्नान ध्यान के बाद पीले रंग का वस्त्र धारण करें और फिर पूजा-पाठ करें। आपको बता दें कि भगवान विष्णु को पीला रंग बेहद ही प्रिय है। भगवान विष्णु को फूल अर्पित कर चंदन लगाएं। साथ ही भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप और विष्णु चालीसा का पाठ करें। इसके बाद घी का दीपक जलाकर भगवान की आरती करें।
देवाधिदेव महादेव की पूजा-अर्चना करने के लिए सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद दीप प्रज्वलित करें तत्पश्चात भगवान शिव का गंगा जल से अभिषेक करें। आप दूध से भी शिव का अभिषेक कर सकते हैं। अभिषेक करने के बाद पुष्प और बेल पत्र अर्पित करें। महादेव का चालीसा पढ़ने के बाद आरती करें।
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर पीपल की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन प्रात:काल जल्दी उठकर, पानी में गंगाजल, कच्चा दूध और तिल मिलाकर पीपल को अर्पित करना चाहिए। इस पूजा से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और पितृ भी तृप्त होते हैं।
तुलसी की पूजा में पहले भगवान शालीग्राम का अभिषेक दूध और पानी से करें और फिर पूजन सामग्री अर्पित करें। अभिषेक किए जल का थोड़ा सा हिस्सा खुद पिएं और बाकी तुलसी के पौधे में अर्पित करें। इसके बाद, हल्दी, चंदन, कुमकुम, अक्षत, फूल और अन्य पूजन सामग्री से तुलसी माता की पूजा करें।
हिन्दू धर्म का रामायण और रामचरितमानस दो प्रमुख ग्रंथ है। आपको बता दें कि आदिकवि वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना की है तो वहीं तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना की है।
हिन्दू धर्म में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाने वाला राम नवमी पर्व एक प्रमुख त्योहार है। इस त्योहार को हिन्दू धर्म के लोग प्रभु श्रीराम की जयंती के रूप में मनाते हैं।
राम नवमी का त्योहार सनातन धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार विशेष रूप से भगवान श्री राम की जयंती के रूप में मनाया जाता है।य ह त्योहार प्रत्येक वर्ष चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाए जाने वाले राम नवमी पर्व का सनातन धर्म में बहुत अधिक महत्व है। पूरे भारत वर्ष में 6 अप्रैल को यह पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा।