हिंदू धर्म में विकट संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। गणेश चतुर्थी का व्रत हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है, लेकिन विकट संकष्टी चतुर्थी का महत्व और भी अधिक होता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जो विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता और बुद्धि के दाता माने जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और विधिवत रूप से पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन विशेष रूप से दिनभर भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करना चाहिए और संकट निवारण की प्रार्थना करनी चाहिए। विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत में दिनभर निर्जला या फलाहार व्रत रखा जाता है और इस दिन चूहों को खाना खिलाने से विशेष फल की प्राप्ति भी होती है।
संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है ‘संकटों को नाश करने वाली चतुर्थी’। यह दिन विशेष रूप से भगवान गणेश को समर्पित होता है, जो विघ्नहर्ता यानी सभी बाधाओं को दूर करने वाले देवता माने जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान गणेश की पूजा विशेष रूप से संतान सुख, संतान की लंबी उम्र, और परिवार की खुशहाली के लिए भी किया जाता है।
चित्रकूट के घाट घाट पर,
शबरी देखे बाट,
दर पे तुम्हारे सांवरे,
सर को झुका दिया,
दर्द किसको दिखाऊं कन्हैया,
कोई हमदर्द तुमसा नहीं है,
दरस एक बार दिखाना रे,
शिव शंकर डमरू वाले ॥