राजस्थान में एक गांव है बैराट। जहां अंबिका शक्तिपीठ है। इसे राजस्थान का पूर्वी प्रवेशद्वार भी कहा जाता है। मान्यता है यहां माता के बांये पैर की उंगालियां गिरीं थीं।
इस मंदिर में देवी सती की मूर्ति को अंबिका भगवान शिव को अमृतेश्वर के रूप में पूजा जाता है। मां अंबिका शक्तिपीठ मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला और समृद्ध नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर का निर्माण विशिष्ट राजस्थानी शैली में किया गया है। विभिन्न हिंदू देवताओं को समर्पित अन्य छोटे मंदिर भी हैं। मंदिर के गर्भगृह में मां अंबिका की काले रंग की मूर्ति विराजमान हैं। जिसक ऊपर एक ऊंचा शिखर और एक सुंदर प्रवेश द्वार है। यहां एक यज्ञ शाला भी है जहां धार्मिक आयोजन होते रहते हैं।
अंबिका मंदिर या विराट शक्ति पीठ मंदिर कोटपूतली-बहरोड़ जिला जिले में विराट नगर के बैराट गाँव में स्थित है। अलवर सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जिसकी दूरी मात्र 60 किमी है। जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट यहां से 100 किमी दूर स्थित है।
आस्था की संगम नगरी प्रयागराज इस समय महाकुंभ के रंग में पूरी तरह रंगी हुई है। 13 जनवरी से शुरू हुए इस महाकुंभ के लिए भारत के विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत भव्य पेशवाई के साथ महाकुंभ नगर में प्रवेश कर चुके हैं।
प्रयागराज का महाकुंभ अपने आप में एक अद्भुत नजारा है। लाखों श्रद्धालुओं के साथ-साथ, हजारों साधु-संत भी यहां आते हैं। इनमें नागा साधुओं का अपना ही महत्व है। इनका कठोर तप और त्याग सभी को प्रेरित करता है।
महाकुंभ में सबसे खास होता है शाही स्नान, शाही स्नान के साथ-साथ इस मेले का मुख्य आकर्षण नागा साधु भी होते हैं। महाकुंभ का पहला अमृत स्नान किया जा चुका है, जिसमें करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।
सत्यनारायण व्रत एक पवित्र और शक्तिशाली धार्मिक अनुष्ठान है जो भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह व्रत न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करता है, बल्कि व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊर्जा से भी भर देता है।