श्री शैल महालक्ष्मी शक्तिपीठ बांग्लादेश के सिलहट शहर से 3 किलोमीटर उत्तर-पूर्व दिशा में जैनपुर गांव में स्थित है। यह शक्तिपीठ माँ महालक्ष्मी या ग्रीवा को समर्पित है और भगवान शिव को यहां संभरानंद के नाम से पूजा जाता है। इस स्थान पर देवी सती का गर्दन गिरी थी। चूँकि संस्कृत में 'ग्रीवा' का अर्थ गर्दन होता है इसलिए इस पीठ को ग्रीवा पीठ कहा जाता है। वहीं संस्कृत में श्रीशैल का अर्थ पहाड़ी होता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी ग्रीवा एक चट्टान पर गिरी थीं, जिनकी प्राचीन काल से पूजा की जाती रही है। बंगाल की 12वीं और 13वीं शताब्दी के बीच यहां सड़क निर्माण का काम शुरू हुआ। उस समय देवीप्रसाद दास ने वहां कुछ मजदूरों को सड़क के काम के लिए काम पर रखा था। जब सड़क की मरम्मत का काम जारी रहा तो जमीन खोदते समय एक काली चट्टान निकली। उस चट्टान को उस स्थान से कोई भी हिला नहीं सका। तभी एक मजदूर ने शीला को सब्बल से दो टुकड़ों में काट दिया। तुरंत ही पास के जंगल से एक लड़की निकली और उसने मजदूर को थप्पड़ मारा और वह लड़की सबकी आँखों के सामने से गायब हो गई।
उस रात देवी महालक्ष्मी ने सपने में देवी प्रसाद को देखा। देवी ने देवीप्रसाद को स्वप्न में कहा, "तुम मुझे इस स्थान पर स्थापित करो और प्रतिदिन पूजा की व्यवस्था करो"। देवीप्रसाद ने स्वप्न देखते ही मंदिर बनवाने की व्यवस्था कर दी। लाखों ईंटों से बना देवी का मंदिर। लेकिन अगली रात उसे फिर सपना आया कि देवी देवीप्रसाद से कह रही हैं, "मैं बंद नहीं रहना चाहती। मुझे बंद मंदिर बनाने की जरूरत नहीं है; तुम मुझे खुले में छोड़ दो।" ऐसा आदेश पाकर, देवीप्रसाद ने आसपास की चट्टान को ईंटों से ढक दिया। आज भी देवीप्रसाद के वंशज मंदिर की देखभाल में लगे हुए हैं।
श्री शैल को दक्षिण का कैलाश या ब्रह्मगिरी भी कहा जाता है। इसलिए इस पीठ पर महालक्ष्मी भैरवी गिरी देवी को स्थापित किया गया है। कई सालों से पूजा की जाती रही है। चूंकि देवी बंद नहीं रहना चाहती थीं। इसीलिए इस मंदिर पर छत नहीं बनाई गई। यह मंदिर आज भी ऊपर से खुला है।
ढाका से, आपको श्री शैल महालक्ष्मी मंदिर की यात्रा करनी होगी। यह मंदिर चटगाँव पहाड़ी इलाकों में रंगमती जिले में स्थित है। सड़क मार्ग से यात्रा में लगभग 8-10 घंटे लगते हैं। आप एक निजी कार किराए पर ले सकते हैं, बस ले सकते हैं या स्थानीय यात्रा सेवा का उपयोग कर सकते हैं। मंदिर के सटीक स्थान के आधार पर, आपको मंदिर क्षेत्र तक पहुँचने के लिए स्थानीय परिवहन किराए पर लेने या उपलब्ध सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने की आवश्यकता हो सकती है। आप ढाका से चटगाँव के लिए घरेलू उड़ान ले सकते हैं जिसमें लगभग एक घंटा लगता है। चटगाँव से, आप सड़क मार्ग से रंगमती तक यात्रा कर सकते हैं।
2 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी पर शनि का नक्षत्र गोचर होगा। इस दिन सुबह 8.51 मिनट पर शनि पूर्व भाद्रपद के प्रथम पद से द्वितीय पद में गोचर करेंगे। पूर्वभाद्रपद नक्षत्र के स्वामी बृहस्पति हैं, जो भाग्य के कारक ग्रह हैं।
फरवरी का महीना ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह-गोचर के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है। इस महीने में सूर्य, मंगल, बुध और बृहस्पति ये चार ग्रह अपनी चाल बदलेंगे जिससे कई राशियों के जीवन में तरक्की और कमाई के नए अवसर आएंगे।
ग्रहों का राशि परिवर्तन, उनकी चाल में बदलाव और अन्य ग्रहों के साथ युति का प्रभाव सभी 12 राशियों के जातकों के जीवन पर जरूर पड़ता है। आने वाले कुछ दिनों में सूर्य और शुक्र की युति मीन राशि में होने वाली है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, सभी ग्रह एक निश्चित समय अंतराल पर अपना- अपना स्थान परिवर्तन करते हैं। इसका नकारात्मक अथवा सकारात्मक प्रभाव सभी राशियों पर पड़ता है।