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मणिबंध शक्तिपीठ, राजस्थान (Manibandh Shaktipeeth, Rajasthan)

मणिबंध शक्तिपीठ, राजस्थान (Manibandh Shaktipeeth, Rajasthan)

मणिबंध शक्तिपीठ पर देवता भी दर्शन करने आते हैं, गायत्री मंत्र का साधना केन्द्र 


मणिबंध शक्तिपीठ अजमेर से 11 किमी दूर गायत्री पहाड़ी पर स्थित है। मान्यता है इस पहाड़ी पर माता की कलाइयां और कंगन गिरे थे। इसे मणिदेविक शक्तिपीठ भी कहा जाता है।

यहां की सती को गायत्री तथा शिव को शर्वानंद के नाम से पूजा जाता हैं। माना जाता है कि कार्तिक मास में इस शक्तिपीठ का दर्शन-पूजन करने के लिए देवता भी यहां आते हैं। यह मंदिर गायत्री मंत्र साधना के लिए आदर्श स्थान माना जाता है।  मंदिर पहाड़ी पत्थरों से बना है, जिन पर देवी-देवताओं की विभिन्न मूर्तियाँ उकेरी गई हैं।


अजमेर और पुष्कर से सीधी कनेक्टिविटी


मणिबंध शक्ति पीठ पुष्कर के मुख्य शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर है। जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पुष्कर से 150 किमी की दूरी पर है। निकटतम रेलवे स्टेशन अजमेर मात्र 15 किमी दूर है।


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चैत्र नवरात्रि पूजा नियम

चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म के पावन त्योहारों में से एक है। यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है - चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनके नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा के दौरान कुछ नियमों का भी पालन करना होता है।

चैत्र मास में क्या करें क्या न करें

ग्रेगोरियन कैलेंडर की तरह एक हिंदू कैलेंडर भी होता है। इस कैलेंडर में भी 12 महीने होते हैं, जिसकी शुरुआत चैत्र के साथ होती है। यह महीना धार्मिक और अध्यात्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस माह में चैत्र नवरात्रि, राम नवमी और हनुमान जयंती जैसे प्रमुख त्योहार आते हैं।

चैत्र मास में करें ये उपाय

चैत्र माह की शुरुआत 15 मार्च से हो रही है। यह हिंदू पंचांग का पहला महीना है, जिसका धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्व है। इस मास में की गई पूजा, व्रत और दान-पुण्य का प्रभाव संपूर्ण वर्ष पर पड़ता है। इसके अलावा मान्यता है कि इस माह में कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सफलता प्राप्त होती है।

चैत्र महीना भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे चैत्र माह में मनाया जाता है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से भक्तों को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस वर्ष भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 17 मार्च 2025, सोमवार को मनाई जाएगी।

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