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चित्रकूट शहर हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित कई प्राचीन मंदिरों का घर है। शिवानी-रामगिरी शक्तिपीठ इन्हीं मंदिरों में से एक है। उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश की सीमा पर मन्दाकिनी नदी के किनारे इस स्थान पर माता का दाहिना स्तन गिरने की मान्यता है। यहाँ देवी की मूर्ति को शिवानी और भगवान शिव को चंदा के नाम से पूजा जाता है।
चित्रकूट का पहला ज्ञात उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता है। महाकवि कालिदास ने भगवान राम की भक्ति के कारण चित्रकूट को रामगिरी के नाम से वर्णित किया है। कहा जाता है कि संत-कवि तुलसीदास ने चित्रकूट में भगवान राम के दर्शन किए थे। भगवान श्रीराम के वनवास के दौरान इस शक्तिपीठ को रामगिरि शक्तिपीठ के नाम से जाना जाने लगा है।
इस शक्तिपीठ को स्थानीय लोग फूलमती माता के नाम से भी जानते है। इस शक्तिपीठ में जो श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर आता है। माता रानी उनकी सारी मनोकामनाओं को पूरा करती है। एक टीले के ऊपर माता का मंदिर खुले छत के नीचे स्थापित है। इस मंदिर को फूलमती माता मंदिर के रूप में स्थानीय लोग जानते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान यहां माता जानकी का फूलों से श्रृंगार किया था। इसलिए इन्हें फूलमती माता कहा जाता है।
यह शक्तिपीठ चित्रकूट के रामगिरी गांव में स्थित है। इसका निकटतम रेलवे स्टेशन चित्रकूट है। जो लखनऊ से 285 किमी दूर और हज़रत निज़ामुद्दीन से 670 किमी दूर है। चित्रकूटधाम स्टेशन मानिकपुर स्टेशन से लगभग 30 किमी दूर है। इलाहबाद हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है जो कि मंदिर से लगभग 120 किलोमीटर दूर है।
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