शाकम्भरी शक्तिपीठ, उत्तरप्रदेश (Shakambhari Shaktipeeth, Uttar Pradesh)

दुर्गामासुर से जुड़ी माता शाकम्भरी की कहानी, भूरादेव भैरव की होती है पूजा


उत्तर प्रदेश में शिवालिक पहाड़ों की तलहटी में शाकम्भरी शक्तिपीठ स्थित है। इस स्थान पर माता सती का मस्तिष्क गिरा था। इस मंदिर का निर्माण मराठा शासकों ने करवाया था। यहां माता सती को  शाकम्भरी देवी और भगवान शिव को भूरादेव भैरव के नाम से पूजा जाता है। शाकम्भरी देवी मां आदिशक्ति देवी दुर्गा का एक सौम्य अवतार हैं। इन्हे अष्टभुजा से भी दर्शाया गया है। मां शाकम्भरी ही रक्तदंतिका, छिन्नमस्तिका, भीमादेवी, भ्रामरी और श्री कनकदुर्गा है। देश में माता शाकंभरी के अनेक पीठ हैं। मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्री गणेश के साथ माता शाकंभरी, भीमा देवी, भ्राभरी देवी तथा शताक्षी देवी की प्रतिमाएं स्थापित है।


शाकम्भरी नाम पड़ने के पीछे की कहानी


एक किवदंती के अनुसार जब दुर्गमासुर नाम के राक्षस के आतंक से तीनों लोक त्राहि-त्राहि करने लगे तब देवताओं के आह्वान पर मां शाकम्भरी प्रकट हुईं। इसके बाद मां शाकम्भरी का दानवों से भीषण युद्ध हुआ, जिसमें मां ने राक्षसों का तो अंत कर दिया।  लेकिन पृथ्वी पर इस युद्ध की वजह से हरियाली समाप्त हो गई। देवताओं की प्रार्थना पर मां भगवती ने कन्दमूल तथा शाक सब्जी उत्पन्न की, जिससे मानव जाति का पोषण हो सके। इसलिए मां भगवती को यहां शाकम्भरी देवी के नाम से पूजा जाता है।


मुख्य शहर से 45 किमी दूर स्थित है शक्तिपीठ


शाकम्भरी शक्तिपीठ सहारनपुर में शहर से लगभग 45 किमी दूर बेहत तहसील में स्थित है। यह सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। दिल्ली से आप नेशनल हाइवे 709B से सहारनपुर जा सकते हैं। दूरी लगभग 175 किमी है और कार से यात्रा में लगभग 4-5 घंटे लगते हैं। शहर की सीमा के भीतर स्थित शक्तिपीठ तक पहुँचने के लिए सहारनपुर से स्थानीय टैक्सियाँ और बसें उपलब्ध हैं। सहारनपुर जंक्शन निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो दिल्ली और भारत के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। सहारनपुर का निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो लगभग 80 किमी दूर स्थित है।


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