माता सती दायां कंधा
माता सती के कंधे के गिरने से हुआ इस शक्तिपीठ का निर्माण, माता के कुमारी रूप की पूजा होती है
कुमारी या रत्नावली शक्तिपीठ, माना जाता है यहां माता सती का दाहिना कंधा गिरा जिसके चलते इस स्थान पर शक्तिपीठ का निर्माण हुआ। यह शक्तिपीठ खानाकुल-कृष्णानगर,जिला हुगली में रत्नाकर नदी के तट पर स्थित है। यहां मां सती की मूर्ति को कुमारी कहा जाता है। वहीं भगवान शिव को भैरव के रूप में पूजा जाता है। आनंदमयी शक्तिपीठ भी इसी का नाम है।
वैसे तो रत्नावली शक्तिपीठ में सभी त्यौहार मनाए जाते हैं लेकिन दुर्गा पूजा और नवरात्रि पर यहां विशेष पूजा का आयोजन होता है। इन दिनों में भक्त उपवास रखकर देवी की उपासना करते हैं और अपने आप को अध्यात्म में लीन करते हैं। पर्व के दिनों में मंदिर पर फूल और विद्युत साज-सज्जा देखने मिलती है।
हवाई और रेल मार्ग से पहुंच सकते हैं
नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा कोलकाता में स्थित निकटतम हवाई अड्डा है। हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन से साधन लेकर शक्तिपीठ तक पहुंचा जा सकता है। हुगली की रोड कनेक्टिविटी भी बेहतर है।
श्याम चंदा है श्यामा चकोरी,
बड़ी सुंदर है दोनो की जोडी ॥
श्याम ऐसो जिया में,
समाए गयो री,
हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। ख़ासकर, पौष मास की अमावस्या को पितरों को प्रसन्न करने और चंद्रदेव की कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर माना गया है। इस दिन भगवान सूर्य, चंद्रदेव और श्रीहरि की विधिवत पूजा के साथ पिंडदान और तर्पण का विधान है।
श्याम के बिना तुम आधी,
तुम्हारे बिना श्याम आधे,